नई दिल्ली: देश में औसतन बेरोजगारी दर एक बार फिर से 8 फीसदी से ज्यादा हो गई है. इस साल बीते 6 महीनों में यह तीसरा मौका है जब देश की औसतन बेरोजगारी दर 8 फीसदी ऊपर हाे गई है. रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में मौसमी बेरोजगारी के कारण इस वर्ष भारत की बेरोजगारी दर तीसरी बार 8 फीसदी से ऊपर बढ़ गई.खास बात तो ये है कि शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर में गिरावट देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी क्यों बढ़ गई है.
शहरी इलाकों में कम हुई बेरोजगारी
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड की रिपोर्ट के अनुसार जून में बेरोजगारी दर पिछले महीने के 7.68 फीसदी से बढ़कर 8.45 फीसदी हो गई. पिछले महीने जहां शहरी इलाकों में बेरोजगारी कम होकर 7.87% हो गई, वहीं ग्रामीण भारत में दो साल में सबसे अधिक 8.73 फीसदी बेरोजगारी देखी गई.
जून में क्यों बढ़ जाती है बेरोजगारी
जून आम तौर पर कृषि सेक्टर के लिए एक कमज़ोर मौसम होता है, जो देश की ग्रामीण आबादी के लिए आजीविका का एक प्रमुख सोर्स है. जून में भारत के गांवों में बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से बढ़ जाती है क्योंकि कटाई मई में समाप्त हो जाती है और नई फसल की बुआई जुलाई में ही गति पकड़ती है जब मानसून आगे बढ़ता है.
बेरोजगारी चिंता का विषय
बढती बेरोज़गारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चिंता का विषय है, जो इस साल के अंत तक दस लाख सरकारी नौकरियां प्रदान करने के अपने वादे के तहत नौकरी नियुक्ति पत्र वितरित करके अपने प्रशासन की साख को चमकाने की कोशिश कर रहे हैं. लेबर मार्केट में लगातार कमजोरी, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में जहां भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी रहती है, 2024 के चुनावों में सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड सकता है.
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