नई दिल्ली (New Delhi) । उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal murder case) के बाद माफिया डॉन अतीक अहमद (ateek Ahmed) और उसका भाई अशरफ (ashraf) अपने गुर्गों को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे थे. वो असद और शूटर गुलाम को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे थे. पता चला है कि इस काम में उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम (Abu Salem) के करीबियों से मदद ली थी और महाराष्ट्र (Maharashtra) में असद और गुलाम के छिपने का इंतजाम करवाया था. इस खुलासे के बाद महाराष्ट्र एटीएस अबू सलेम से असद के कनेक्शन की जांच कर रही है. ऐसे में कई लोग जानना चाहते हैं कि आखिर अबू सलेम कौन है? आइए जान लेते हैं, अबू सलेम की पूरी कहानी.
अंडरवर्ल्ड में वैसे तो कई ऐसे नाम हैं, जिन्होंने जुर्म की नई इबारत लिखी. जरायम की अंधेरी गलियों से निकलकर ये अपराधी दुनियाभर की नजरों में आ गए. इनके कारनामों ने आम जनता ही नहीं बल्कि पुलिस महकमे के लिए भी तमाम तरह की दुश्वारियां खड़ी की. ऐसा ही नाम है अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम का. जिसके नाम से आज भी बॉलीवुड कांप जाता है. मुंबई में 12 मार्च, 1993 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष टाडा अदालत ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम सहित 5 लोगों को दोषी करार दिया था और उन सभी को सजा सुनाई थी. कोर्ट ने अबू सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
कौन है अबू सलेम?
अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम का जन्म 1960 के दशक में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में सराय मीर नामक गांव में हुआ था. उसकी जन्मतिथि को लेकर सीबीआई और मुंबई पुलिस के बीच मतभेद हैं. अबू सलेम का पूरा नाम अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी है. वैसे कई जगहों पर उसे अकील अहमद आजमी, कैप्टन और अबू समान के नाम से भी जाना जाता है. अबू के पिता एक जाने-माने वकील थे. मगर एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो जाने के बाद अबू का परिवार टूट गया. वह चार भाईयों में दूसरे नंबर पर था.
पहले दिल्ली, फिर मुंबई को बनाया ठिकाना
पिता की मौत के बाद अबू का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो गया. घर में भारी परेशानी आ गई. जिसके चलते अबू सलेम ने पढ़ाई छोड़कर काम करना शुरू कर दिया. उसने आजमगढ़ में ही एक मैकेनिक के यहां काम करना शुरू कर दिया. लेकिन जल्द वह काम के लिए दिल्ली आ गया. यहां उसने मैकेनिक का काम करने के बाद टैक्सी चलाना शुरू किया. लेकिन वह अपना और परिवार का गुजारा नहीं कर पा रहा था. इसलिए 80 के दशक में उसने मुंबई का रुख कर लिया और वहां जाकर टैक्सी चलाने लगा.
जुर्म की दुनिया में पहला कदम
मुंबई में कुछ माह बाद ही अबू की मुलाकात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के लोगों से हुई. पहले मामला दुआ सलाम तक रहा लेकिन जल्द ही उसने डी कंपनी में काम करना शुरू कर दिया. उसके साथ उसका चचेरा भाई अख्तर भी शामिल था. यह जुर्म की दुनिया में उसका पहला कदम था. पहले वह आम कारिंदे की तरह काम करता रहा लेकिन अपने हुनर और तेज़ दिमाग की वजह से जल्द ही वह गैंग में आगे बढ़ गया था. उसने गैंग में रहकर अपनी अलग पहचान बनाना शुरू कर दिया था. मुंबई के लोग भी धीरे धीरे उसे जानने लगे थे. अबू सलेम अब पूरी तरह से जुर्म के रंग में रंग गया था.
अबू सलेम की पहली गिरफ्तारी
अबू के खिलाफ पहला मामला साल 1988 में मुंबई के अंधेरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. लेकिन 1991 में उत्तर पश्चिम मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आफताब अहमद खान ने अबू सलेम को पहली बार गिरफ्तार किया था. यह उसकी पहली गिरफ्तारी थी. अबू पर आरोप था कि उसने लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स में व्यापारियों से अवैध उगाही की कोशिश के चलते गोलीबारी की थी. उसके खिलाफ इस संबंध में मामला भी दर्ज था. यह पहला मौका था जब पुलिस को अबू सलेम की तस्वीरें और फिंगर प्रिंट पुलिस को हासिल हुए थे.
मुंबई धमाकों के बाद दुबई में बनाया था ठिकाना
अबू सलेम, दाऊद के गैंग में अपनी खास जगह बना चुका था. इसी दौरान मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हुए. जिसका इल्जाम दाऊद गैंग के सिर पर था. इसलिए दाऊद इब्राहिम और उसके गैंग ने दुबई में पनाह ली. अबू सलेम भी वहां पहुंच गया. फिर उसने दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम के लिए काम करना शुरू कर दिया. वह दुबई में रहकर तस्करी और वसूली जैसे कामों को अंजाम देने लगा था. साथ ही वो कार ट्रेडर भी बन गया था. अनीस और दाऊद उसके काम से खुश थे. गैंग में उसकी तूती बोलने लगी थी.
बॉलीवुड और बिल्डरों से वसूली
अबू सलेम के काम से खुश होकर डी कंपनी ने जल्द ही उसे अहम काम सौंप दिया. वो काम था बॉलीवुड और बिल्डरों से वसूली करने का. सलेम ने इस काम को बाखूबी अंजाम दिया. उसने बॉलीवुड सितारों, निर्माताओं के साथ-साथ बिल्डरों से जमकर वसूली करना शुरू कर दिया. पैसा वसूल करने के लिए उसने हर तरकीब अपनाई. धमकी देना, गोलीबारी करना और यहां तक कि किसी की जान लेना उसके लिए खेल बन गया. उसका आतंक मायानगरी में इस कदर बढ़ गया कि बॉलीवुड का हर छोटा बड़ा आर्टिस्ट और फिल्म निर्माता अबू सलेम उर्फ कैप्टन के नाम से ही कांपने लगा था.
डी कंपनी से अलग हो गया था अबू
अबू सलेम अब एक बड़ा माफिया बन चुका था. अंडरवर्ल्ड की दुनिया में उसका नाम चल निकला था. इसी दौरान अबू और अनीस के बीच खटपट हो गई. मामला इतना बढ़ा कि 1998 में अबू सलेम दाऊद गैंग से अलग हो गया. उसने अलग से काम करना शुरू कर दिया. इस बीच सलेम ने बॉलीवुड के फिल्म निर्देशक राजीव राय और राकेश रोशन को मारने की नाकाम कोशिश की. ये दोनों ही उस वक्त दाऊद इब्राहिम के करीबी थे. इस घटना से अबू सलेम और दाऊद इब्राहिम के बीच दुश्मनी और गहरी हो गई.
गुलशन कुमार की हत्या और अन्य मामले
अबू अब एक पेशेवर अपराधी बन चुका था. उसने मुंबई समेत कई शहरों में हत्या, अपहरण और जबरन वसूली की कई वारदातों को अंजाम दिया था. भारत में वह वांटेड बन चुका था. मुंबई के धमाकों में भी सलेम को नामजद किया गया था. इसके साथ ही 1997 में बॉलीवुड के निर्माता गुलशन कुमार की हत्या में भी उसका नाम सामने आया था. ऐसे ही अभिनेत्री मनीषा कोइराला के सचिव समेत 50 लोगों की हत्या के मामलो में भी उसका नाम शामिल था.
अबू सलेम की शादीशुदा जिंदगी
गैंगस्टर अबू सलेम ने 1991 में मुंबई के जोगेश्वरी इलाके में रहने वाली 17 वर्षीय समीरा जुमानी से शादी की थी. बताया जाता है कि समीरा ने दो बच्चों को जन्म दिया था. इस वक्त समीरा जॉर्जिया, अमेरिका में रहती है. उसने वहां जाने के लिए सबीना आजमी नाम से एक फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था. अब वह इसी नाम से वहां रहती है. उसका नाम नेहा उर्फ आसिफ जाफरी भी है. बताया जाता है कि इसके बाद अबू सलेम समीरा से अलग हो गया था. और उसने बॉलीवुड अभिनेत्री मोनिका बेदी से दूसरी शादी कर ली थी. हालांकि समीरा से उसके तलाक की बात अभी तक सामने नहीं आई है.
20 साल छोटी लड़की से तीसरी शादी
जानकारी के मुताबिक, 8 जनवरी 2014 को पेशी के लिए लखनऊ जाते समय अबू सलेम ने चलती ट्रेन में मुंबई की रहने वाली लड़की से निकाह किया था. उनका निकाह मुंबई में एक काजी ने फोन पर पढ़ा था. इस निकाह के गवाह अबू के भतीजे रशीद अंसारी और मुंबई पुलिस के जवान बने थे. लड़की सलेम से 20 साल छोटी है और उसका बिजनेस देखती है.
जुलाई 2017 में अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम ने मुंबई की एक अदालत में याचिका दायर करके फिर से शादी करने के लिए पैरोल या अस्थायी जमानत देने का अनुरोध किया है. सलेम ने दो उच्च न्यायालयों का हवाला देते हुए दावा किया कि दोषियों को शादी करने के लिए इस तरह की राहत दी जा सकती है. कोर्ट ने इस पर सीबीआई से जवाब मांगा था.
ऐसे हुई थी गिरफ्तारी
भारत में मोस्ट वांटेड बन जाने के बाद सलेम देश छोड़कर भाग गया था. उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जा चुका था. इंटरपोल लगातार उसकी तलाश कर रही थी. और आखिरकार 20 सितंबर 2002 को अबू सलेम को उसकी प्रेमिका मोनिका बेदी के साथ इंटरपोल ने लिस्बन, पुर्तगाल में गिरफ्तार कर लिया था. उसकी गिरफ्तारी सैटेलाइट फोन से मिली लोकेशन के जरिए संभव हो पाई थी. फरवरी 2004 में पुर्तगाल की एक अदालत ने उसका भारत में प्रत्यर्पण किए जाने को मंजूरी दे दी थी. उस पर भारत में मुंबई बम धमाकों का मामला चलाया जाना था. बताया जाता है कि डी कंपनी के छोटा शकील ने पुर्तगाल में उसके होने की ख़बर पुलिस को दी थी.
टाडा अदालत ने तय किए थे आरोप
1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों के मामले में अबू सलेम की भूमिका के लिए मार्च 2006 को विशेष टाडा अदालत ने उसके और उसके सहयोगी रियाज सिद्दीकी के खिलाफ आठ आरोप दायर किए थे. उस पर हथियार बांटने का आरोप भी लगाया गया था. तभी से अबू सलेम को उच्च सुरक्षा के बीच मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया है.
अरबों की संपत्ति का मालिक है अबू
मुंबई की जेल में बंद अबू सलेम एक अरबपति माफिया डॉन है. सीबीआई और पुलिस रिकार्ड के मुताबिक उसकी कुल संपत्ति 4000 करोड़ रुपये की है. जिसमें से 1,000 करोड़ रुपये नकदी और संपत्ति उसकी दोनों पत्नियों समीरा जुमानी और मोनिका बेदी के बीच विभाजित है. बॉलीवुड और हवाला रैकेट में सलेम का निवेश कम से कम 3,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. सीबीआई के मुताबिक उसका सालाना लेनदेन करीब 200 करोड़ रुपये का था. उसे एक गैर आप्रवासी अमेरिकी के तौर पर वीजा मिला हुआ था. बताया जाता है कि उसके पास 12 पासपोर्ट थे.
जेल में दो बार हुआ अबू पर हमला
मुंबई की आर्थर रोड जेल में सजा काट रहे अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम पर 2010 में पहली बार हमला किया गया था. उस वक्त एक कैदी ने उसके चेहरे पर ब्लेड से हमला किया था. इस हमले के बाद अधिकारियों ने उसे तलोजा जेल में शिफ्ट कर दिया था और उसकी सुरक्षा भी बढ़ा दी थी. इसके बाद सितंबर 2013 में वकील शाहिद आजमी हत्याकांड के आरोपी देवेंद्र जगताप ने सलेम पर गोली चलाई थी, जिसमें सलेम जख्मी हो गया था. इस हमले के बाद कई जेलकर्मियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था. आरोप है कि अबू सलेम पर हुए हमलों के पीछे डी कंपनी का हाथ था.
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