– अग्निबाण विश्लेषण.. सिर्फ खुद का बचाव ही अब एक मात्र उपाय… अप्रैल-मई की सख्ती से रोका सामुदायिक संक्रमण अब फैलने लगा
इंदौर, राजेश ज्वेल। जिस सामुदायिक संक्रमण या पीक से अभी तक इंदौरी बचे थे वह अब नजर आ रहा है। दुनियाभर में कोरोना की क्रोनोलॉजी जो अभी तक तमाम विशेषज्ञों को समझ में आई है उसके मुताबिक अधिक से अधिक आबादी को संक्रमित करने के बाद ही इसका ग्राफ ऊपर से नीचे की ओर जाएगा। अप्रैल और मई में इंदौर में जो सख्त कफ्र्यू और लॉकडाउन लगाया गया उसके परिणाम स्वरूप तब अधिक क्षेत्र में संक्रमण नहीं फैल सका, लेकिन जून के बाद जब अनलॉक शुरू किया गया और फिर नेताओं ने सारे बाजार खुलवा दिए तो संक्रमण तेजी से बढऩा तय था, जो अब हो भी रहा है।
डब्ल्यूएचओ से लेकर देश और दुनियाभर के सारे विशेषज्ञ, वैज्ञानिक कोरोना संक्रमण से बचने की काट ढूंढ पाने में नाकामयाब रह हैं और वैक्सीन को ही इसका एकमात्र उपाय बताया गया है, लेकिन अभी आने वाले 6 महीने से लेकर सालभर के भीतर वैक्सीन भी नहीं मिलेगी और डब्ल्यूएचओ स्पष्ट कह चुका है कि कोरोना के साथ ही रहना सीखना पड़ेगा और भारत के लिए तो वह स्पष्ट चेतावनी जारी कर चुका है कि यहां कोरोना महामारी के रूप में तेजी फैलेगा। अभी देश में रोजाना 95 हजार से अधिक कोरोना मरीज हर 24 घंटे में मिल रहे हैं और अगले एक-दो दिनों में यह संख्या 1 लाख रोज हो जाएगी। 48 लाख से ज्यादा देशभर में कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं, तो मध्यप्रदेश में 88 हजार से ज्यादा और इंदौर में 17 हजार 161 कुल पॉजिटिव मरीजों का का आंकड़ा आज सुबह तक हो गया है। हालांकि रिकवरी रेट 68 प्रतिशत तक है, लेकिन अब सेल्फ डिसिप्लीन यानी खुद के अनुशासन से ही कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है, जिसमें मास्क, फिजिकल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजेशन से लेकर वे तमाम सावधानियां हैं, जिसकी जानकारी पिछले 6 महीने से डॉक्टरों-विशेषज्ञों द्वारा लगातार जनता को दी जा रही है। शासन-प्रशासन को अब कोसने से कोई लाभ नहीं होना है, क्योंकि कोरोना संक्रमण का इलाज दुनियाभर में ही नहीं ढूंढा जा सका है और ना ही इसके वायरस की चपेट में आने से बचने का कोई कारगर फार्मूला है। लम्बे समय तक लॉकडाउन भी नहीं किया जा सकता और धीरे-धीरे सभी गतिविधियों को खोलना भी जरूरी है। इंदौर में मार्च के महीने में जो गलियां हुईं और तेजी से संक्रमण फैला, उसके बाद जब देशभर में लॉकडाउन लगाया गया और कलेक्टर मनीष सिंह ने अप्रैल-मई में पूरी सख्ती बरती, जिसके परिणाम स्वरूप तब संक्रमण नहीं फैला, लेकिन अब बाजारों के खुलने, राजनीतिक आयोजनों के होने के चलते फिर मरीजों की संख्या बढऩे लगी है और यह इसी तरह बढ़ती रहेगी और उसके बाद ही घटेगी। दुनियाभर में कोरोना का यही ट्रेंड है, जो अब इंदौर और मध्यप्रदेश में भी शुरू हो गया है।
सरकार के हाथ से भी निकल चुकी है बाजी
केन्द्र और राज्य सरकार को जनवरी-फरवरी के माह में जो सावधानी बरतना थी वह तो प्रदेश में तख्ता पलटने के चलते नहीं बरती गई और विदेशी उड़ानों पर देरी से रोक लगाने, हवाईअड्डों पर जांच ना करने और लॉकडाउन लेट घोषित करने के कारण कोरोना फैला और उसके बाद 1 जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू करना पड़ी। अब सरकार को बिहार और उपचुनाव लडऩा है, जिसके चलते उसने कोरोना की लड़ाई को जनता के भरोसे छोड़ दिया और सोशल तथा परम्परागत मीडिया को पाकिस्तान, चीन, सुशांत सिंह, कंगना जैसे मुद्दों में उलझा दिया, क्योंकि सरकार के हाथ से कोरोना जंग जीतने की बाजी कब की निकल चुकी है।
रातों रात अस्पताल और डॉक्टर नहीं बढ़ सकते
सभी सरकारों ने सरकारी और निजी अस्पतालों को चौपट कर इनका जिम्मा निजी हाथों में सौंप दिया। इंदौर में ही निजी अस्पताल लगातार विकसित होते गए और सरकारी अस्पतालों का ढर्रा खराब ही रहा। अभी कोरोना में लाख निजी अस्पतालों या निजी संचालकों को कोसा जाए, लेकिन उसका कोई हल नहीं है, क्योंकि ना तो रातों रात अस्पताल बनाए जा सकते हैं और ना ही डॉक्टरों के साथ इलाज की सुविधाएं जुटाई जा सकती है, जो व्यवस्था है उसी से सबको काम चलाना पड़ेगा।
मीडिया भी डराने की बजाय जनता को बताए हकीकत
कोरोना मरीजों की संख्या सिर्फ इंदौर में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश और दुनिया में इसी तरह लगातार बढ़ रही है, लेकिन मीडिया को यह लगता है कि कोरोना सिर्फ इंदौर में ही बचा है और सभी जगह खत्म हो गया। जबकि इस वैश्विक महामारी का इलाज स्थानीय स्तर पर नहीं ढूंढा जा सकता और मीडिया को भी जनता को हकीकत बताकर उसे डराने की बजाय कोरोना से लडऩा सिखाया जाना चाहिए।
अब सरकारी नहीं स्वैच्छिक लॉकडाउन ही उपाय
जीडीपी माइनस 23 प्रतिशत तक गिरने और राज्य से लेकर केन्द्र सरकार को हो रहे नुकसान के चलते अब धीरे-धीरे सारी गतिविधियां खोल दी गई हैं। बसें, ट्रेन, हवाई जहाज भी शुरू कर दिए। लिहाजा अब लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि इससे पूरी साइकल फिर ब्रैक हो जाएगी। नतीजतन अब कारोबारी, जनता, स्वैच्छिक लॉकडाउन के जरिए ही संक्रमण को कम कर सकते हैं। इंदौर में इसकी शुरुआत हो भी गई है। शाम को जल्द मार्केट बंद भी होने लगे हैं।
43 हजार मरीजों का आंकड़ा तो शासन दे ही चुका
प्रदेश सरकार ने 31 अक्टूबर तक के लिए जो कोरोना मैनेजमेंट प्लान तैयार किया है उसी में तीन गुना तक मरीजों की संख्या बढऩे का अनुमान लगाया गया है। मप्र में जहां 2 लाख 60 हजार, तो इंदौर जिले में 43 हजार से अधिक कोरोना पॉजिटिव 31 अक्टूबर तक हो जाएंगे। लिहाजा अब इंदौर में रोजाना ही 300-400 और संभव है कि आने वाले दिनों में 500 से ज्यादा मरीज हर 24 घंटे में मिले। देश के सभी बड़े शहरों में हजारों की संख्या में इसी तरह हर रोज मरीज मिलते रहे हैं। अब इंदौर भी उसी श्रेणी में शामिल हो रहा है। इसलिए घबराने की बजाय कोरोना से लडऩे और बचने की आवश्यकता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved