इस्लामाबाद। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़ी परियोजनाओं के लिए चीनी कमगारों का आना बढ़ गया है। इसी के साथ देश की लड़कियां, खासकर अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय से जुड़ी, मानव तस्करी का निशाना बन रही हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इन्हें चीन भेजा जा रहा है। चीनी कामगारों का यहां आना आसान है। कुछ काम करने के लिए आते हैं और पाकिस्तानी लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर शादी कर लेते हैं। हालांकि यह गैरकानूनी नहीं है। कुछ अन्य चीनी फर्जी कंपनियों से जारी कागजात लेकर या कारोबार के नाम पर पाकिस्तान आते हैं।
इनका मकसद अपने लिए दुल्हन खरीदना होता है। ‘सीपीईसी की आड़ में दुल्हनों की तस्करी’ शीर्षक रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में दुल्हन की कीमत भारतीय मुद्रा में ढाई लाख से चार लाख रुपये तक है। गरीब पाकिस्तानी परिवारों के लिए यह काफी बड़ी रकम है। हाल ही में, पाकिस्तान में मुस्लिम लड़कियों के गैरमुस्लिम पुरुषों से शादी करने पर शरिया कानून के तहत पाबंदियां लागू की गई हैं। इससे दुल्हन खरीदने आए गैरमुस्लिम चीनियों के लिए समस्या हो गई। ऐसे में उनके निशाने पर ईसाई लड़कियां आ गईं।
ईसाई कार्यकर्ताओं के मुताबिक, पंजाब के गुजरांवाला से हर साल 750 से 1000 लड़कियां चीनी खरीदकर ले जा रहे हैं। बिकने वाली लड़कियां चीनी भाषा नहीं जानतीं। उन्हें चीनी संस्कृति के बारे में भी कोई जानकारी नहीं होती। रिपोर्ट में इन लड़कियों से गाली-गलौज, दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा और जबरन मां बनाने के कई उदाहरण दिए गए हैं।
शादी के नाम पर विदेश ले जाकर कराते हैं वेश्यावृत्ति
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ मामलों में तो शादियां पूरी तरह दिखावटी हैं। चीनी पत्नी नहीं, बल्कि खूबसूरत महिलाओँ की तलाश में रहते हैं। उन्हें चीन ले जाकर वेश्यावृत्ति कराई जाती है। खबरें तो यहां तक हैं कि पाकिस्तानी महिलाओं को चीन ले जाकर हत्या कर उनके अंग बेच दिए जाते हैं। हालांकि चीनी अधिकारी इसका जोरदार खंडन करते हैं।
सीपीसी की भी दुल्हनों की तस्करी में है सहमति
मानव तस्करों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की भी सहमति प्राप्त है। चीन के गांवों में एक बच्चे की नीति के कारण दुल्हनों का अभाव है। दशकों से दंपतियों ने लड़कों को प्राथमिकता दी, जबकि लड़की को गर्भ में ही मार डाला। इस कारण चीन में दुल्हन मिलना दुर्लभ है। पाकिस्तानी पुलिस मानव तस्करी में लगे स्थानीय लोगों के खिलाफ तो कार्रवाई करती है, लेकिन चीनियों के खिलाफ कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। उधर, पाकिस्तान के नेता लड़कियों की तस्करी को नजरअंदाज कर चीन के साथ संबंधों को ज्यादा तवज्जो देते हैं। वैसे भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ पाकिस्तान में दोयम दर्जे का व्यवहार होता है।
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