लखनऊ: लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी परेशानी में घिरती नजर आ रही है. पार्टी के कई बड़े नेता अखिलेश यादव के फैसले से नाराज बताए जा रहे हैं. जिसमें बदायूं के पूर्व सांसद सलीम शेरवानी से लेकर कई ऐसे नेता हैं जो अलग-अलग समय पर बयान देते रहते हैं, इसके साथ ही कई मुस्लिम मौलानाओं ने भी अखिलेश यादव की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. ऐसे में अब चुनाव से पहले पार्टी रूठे नेताओं को मनाने के लिए खास अभियान चलाने जा रही है.
समाजवादी पार्टी अपने रूठों को मनाने की तैयारी कर रही है. इस दायरे में उन सभी नेताओं को वापस लाने का फैसला किया गया है जो नाराज तो हैं पर पार्टी के प्राथमिक सदस्य से अभी तक उन लोगों ने इस्तीफा नहीं दिया है . इसके लिए पार्टी के महासचिव और सपा के संकट मोचन कहे जाने वाले शिवपाल सिंह यादव को जिम्मेदारी सौंप गई है. जो नेताओं को मनाकर पार्टी को एकजुट करेंगे.
राज्यसभा चुनाव को लेकर नेताओं में नाराजगी
दरअसल राज्यसभा चुनाव को लेकर कई नेताओं में नाराजगी है. कई नेता तो सार्वजनिक रूप से उम्मीदवारों के चयन पर एतराज जता चुके हैं. तो कई नेता ऐसे भी हैं जो नाराज तो हैं लेकिन अपनी नाराजगी उन्होंने जगजाहिर नहीं की. इन नाराज नेताओं में बदायूं के पूर्व सांसद सलीम शेरवानी ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व गंभीर आरोप लगाए पार्टी हैं.
सूत्रों के मुताबिक सलीम शेरवानी को मनाने का प्रयास चल रहा है, और इसकी जिम्मेदारी शिवपाल सिंह यादव को सौंप गई है. क्योंकि बदायूं से शिवपाल सिंह यादव लोकसभा के उम्मीदवार घोषित किए गए हैं. ऐसे में शिवपाल को सलीम शेरवानी को मनाने की अहम जिम्मेदारी सौंप गई है. आपको बता दें कि सलीम शेरवानी पश्चिम उत्तर प्रदेश में कई सीटों पर प्रभाव रखते हैं साथ ही मजबूत मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं. यहां उनका अच्छा खासा जनाधार भी है.
रूठे नेताओं को मनाने की कवायद
इसी तरह से पूरे उत्तर प्रदेश में सभी रूठे सपा नेताओं को मनाने के लिए अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है. नाराज नेताओं से बात की जाएगी उनकी बात पार्टी हाईकमान तक बात पहुंचाई जाएगी. साथ ही हाईकमान से उनकी बात भी कराई जाएगी. ता कि जो भी समस्याएं हैं उन्हें दूर किया जा सके.
पुराने समाजवादी नेता राम गोविंद चौधरी ने तो रूठे सज्जनों को मनाने का प्रयास भी शुरू कर दिया था. पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को मनाने की कोशिश उन्होंने ही की थी. उनके घर तक गए थे हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली. वहीं पल्लवी पटेल को मनाने में वो काफी हद तक सफल रहे.
आपको बता दें कि राज्यसभा प्रत्याशियों के मुद्दे पर पल्लवी पटेल ने खुलकर अखिलेश यादव के निर्णय का विरोध किया था. उन्होंने पीडीएफ प्रत्याशी यानी रामजीलाल सुमन को वोट देने की बात कही है पल्लवी पटेल का कहना वह पीडीए का हिस्सा है. इसलिए पीडीए प्रत्याशी का कभी विरोध नहीं किया है. जिन प्रत्याशियों के नाम पर आपत्ति है उस पर अभी कायम हैं. माना जा रहा है पल्लवी के विरोध का फायदा उनको लोकसभा चुनाव में हो सकता है समाजवादी पार्टी पल्लवी पटेल को एक या दो सीटों पर चुनाव लड़ाने का ऐलान कर सकती है.
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