नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मृत निवेशकों, जमाकर्ताओं और खाताधारकों के 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लावारिस राशि (Unclaimed amount of more than 40 thousand crore rupees) सही कानूनी वारिसों को उपलब्ध कराने के लिए तंत्र विकसित करने के बारे में शुक्रवार को केंद्र सरकार (central government) को नोटिस (notice) जारी किया। जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने पत्रकार सुचेता दलाल की याचिका पर केंद्र सरकार, आरबीआई और अन्य से यह कहते हुए जवाब मांगा कि यह मुद्दा महत्वपूर्ण है।
वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में आरबीआई द्वारा शासित एक केंद्रीकृत डाटा वेबसाइट की आवश्यकता से संबंधित मुद्दों को भी उठाया गया है, जिससे मृत बैंक खाताधारकों के मूल विवरण उपलब्ध हों और कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा निष्क्रिय खातों के धन का दावा करने की प्रक्रिया आसान बन जाए। याचिका में यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि कानूनी वारिसों या नामित व्यक्तियों द्वारा जमा राशि का दावा न करने की स्थिति में धन को जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष (डीईएएफ), निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष (आईईपीएफ) और वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष (एससीडब्ल्यूएफ) में स्थानांतरित किया जाए।
साथ ही एक केंद्रीकृत ऑनलाइन डाटाबेस पर निष्क्रिय खातों के धारकों की जानकारी डाल कर इसे कानूनी वारिसों/नामितों को उपलब्ध कराया जाए। याचिका में कहा गया है कि मृत निवेशकों की जानकारी, जिनकी जमा, डिबेंचर, लाभांश, बीमा और डाकघर निधि आदि आईईपीएफ में स्थानांतरित कर दी गई है, यह वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध नहीं है।
दो साल में दोगुना से अधिक बढ़ी लावारिस राशि
याचिका में कहा गया है कि जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष (डीईएएफ) के पास मार्च, 2021 के अंत में 39,264.25 करोड़ रुपये की राशि थी, जबकि 31 मार्च, 2020 को 33,114 करोड़ रुपये और 31 मार्च, 2019 को यह रकम सिर्फ 18,381 करोड़ थी। यानी दो साल में यह राशि दो गुना से अधिक बढ़ गई। वहीं निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष (आईईपीएफ) 1999 में 400 करोड़ रुपये से शुरू हुआ जो मार्च 2020 के अंत में 10 गुना अधिक 4100 करोड़ रुपये था।
क्या है डीईएएफ
आरबीआई गाइडलाइन के तहत डीईएएफ में ऐसे व्यक्तिगत बैंक खातों जिनमें 10 साल से कोई लेन-देन नहीं हुआ उनका पैसा इस फंड में जमा होता है। वहीं दस साल या अधिक से जिस पैसे पर कोई दावा न हो वह पैसा भी इस कोष में जमा किया जाता है। इस कोष की स्थापना रिजर्व बैंक ने 2014 में की थी। वहीं आईईपीएफ में कारोबारी खातों का पैसा जमा होता है।
बिचौलिए करते हैं कमीशन खोरी
आईईपीएफ अथॉरिटी अपनी वेबसाइट पर उन लोगों के नाम प्रकाशित करता है, जिनकी धनराशि को फंड में ट्रांसफर किया गया है। हालांकि वेबसाइट एक्सेस करते समय कई तकनीकी गड़बड़ियां सामने आती हैं। नतीजतन, लोगों को धनराशि प्राप्त करने के लिए बिचौलियों या एजेंटों का सहारा लेना पड़ता है, जो राशि का 20 से 50 फीसदी तक कमीशन ले लेते हैं।
ईवीएम से होते रहेंगे चुनाव
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के उस प्रावधान की सांिवधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसके कारण देश में चुनावों के लिए बैलेट पेपर की जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की शुरुआत हुई थी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने 1951 के अधिनियम की धारा-61ए को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया।
याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि अनुच्छेद-100 सदनों में मतदान, रिक्तियों के बावजूद सदनों की कार्य करने की शक्ति और कोरम से संबंधित है। शर्मा ने कहा, मैंने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा-61ए को चुनौती दी है कि इसे लोकसभा या राज्यसभा में मतदान के जरिए पारित नहीं किया गया है। लेकिन पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इसमें मेरिट का अभाव है।
बाड़मेर तेल क्षेत्र मामले में केंद्र व ओएनजीसी से जवाब तलब
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान के बाड़मेर तेल क्षेत्र से तेल उत्पादन करने के लिए वेदांत और ओएनजीसी के उत्पादन साझा अनुबंध (पीएससी) से जुड़े मामले में केंद्र से जवाब मांगा है। वेदांत लिमिटेड ने दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ के 26 मार्च के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। खंडपीठ ने केंद्र को 2030 तक वेदांत लिमिटेड और ओएनजीसी के साथ बाड़मेर तेल क्षेत्र से तेल उत्पादन करने का निर्देश देने के एकल पीठ के आदेश को दरकिनार कर दिया था।
राज्यों से मांगी हज समितियों के गठन की जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्यों को दो सप्ताह के भीतर हज समितियों के गठन की स्थिति के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया। जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने राज्यों से समिति के सदस्यों के नाम के बारे में जानकारी देने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने पीठ को बताया कि कई राज्यों ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की है, जिसके बाद पीठ ने ये निर्देश दिए।
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