खबरों में तो आज भी सबके बाप हैं… और नाम है अग्निबाण
इंदौर, राजेश ज्वेल।
45 साल की नाबाद (unbeaten) और चौकों-छक्कों से भरी पारी खेलते हुए अग्निबाण (Agniban) 46वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और सबसे बड़ी बात यह है कि इतने वर्षों में भी लाखों पाठकों (readers) का भरोसा अटूट और अटल रहा है। न तेवर बदले और न ही अंदाज-ए-बयां। भले ही हुकूमतें बदलती रही हों, मगर सच कहने और लिखने का जज्बा कम नहीं हुआ। मीडिया (media) मंडी में वैसे तो तमाम अखबारों (newspapers) की भीड़ मौजूद है ही, वहीं न्यूज चैनलों (news channels) के अलावा अब पोर्टल (portals) भी कुकुरमुत्तों (mushrooms) की तरह हर 24 घंटों में ढेरों खुलने और उसके साथ बंद भी होने लगे हैं। बावजूद इसके खबरों के मामले में अग्निबाण (Agniban) आज भी सबका बाप ही है। दोपहर 12 बजे से ही शहर को इसकी तलब लगने लगती है।
अग्निबाण (Agniban) को ही इस बात का श्रेय जाता है कि उसने सांध्य दैनिक (evening daily) के रूप में न सिर्फ एक शुरुआत की, बल्कि शीर्ष पर रहने का अनूठा सफर भी तय किया, जो निर्बाध रूप से सतत जारी है। एक वक्त था, जब सुबह के अखबार ही छपते और बिकते थे, मगर अग्निबाण (Agniban) ने शाम के अखबार का जायका पैदा किया और कुछ ही वर्षों में इसे पाठकों की तलब और भूख में परिवर्तित कर दिया, जो 365 दिन कायम रहती है। अग्निबाण ऐसा अखबार भी है, जिसकी एक प्रति तमाम पाठकों (readers) के हाथों और निगाहों से गुजरती है और शहर के चप्पे-चप्पे पर उसकी मौजूदगी मिलती है। इतने वर्षों में पाठकों (readers) का भरोसा भी कायम रखा और विश्वसनीयता का आलम यह है कि तमाम अखबारों की भीड़ में भी अग्निबाण (Agniban) की छपी खबरों पर शासन-प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि भी भरोसा करते हैं। इंदौर का ऐसा कोई घटनाक्रम नहीं रहता जो अग्निबाण की खबरों में शामिल न हो। शासन-प्रशासन की कोई पॉलिसी हो, महत्वपूर्ण फैसले या सुझाव भी देना हो तो उसमें अग्निबाण (Agniban) की भूमिका अग्रणी ही रही है। न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर पर अमल करते हुए अग्निबाण ने कभी खबरों से समझौता नहीं किया, चाहे सामने वाला कितना ही रसूखदार क्यों न हो। वहीं किसी से व्यक्तिगत खुन्नस या पीत पत्रकारिता भी नहीं की। यही कारण है कि अग्निबाण की इतने वर्षों से विश्वसनीयता कायम रही और किसी स्तर पर कोई दबाव-प्रभाव काम नहीं आता है। आज भी सुबह के अखबारों के लिए अग्निबाण (Agniban) गैस पेपर की तरह है, जिसकी खबरों को ही सुबह विस्तार दिया जाता है। विगत 24 साल से अग्निबाण (Agniban) परिवार से निरंतर जुड़े रहने और शहर के तमाम छोटे-बड़े घटनाक्रम और खोजी खबरों के साथ-साथ विकास से जुड़े प्रोजेक्टों को जिस तरह अग्निबाण ने उजागर किया उसकी अन्य किसी अखबार में मिसाल नहीं मिलती। यहां तक कि कोरोना के भीषण काल में भी अग्निबाण (Agniban) ने अपनी विश्वसनीयता कायम रखी और उससे जुड़ी हर तरह की खबरों का प्रमुखता से प्रसारण किया। यही कारण है कि नेता हो या अभिनेता अथवा अफसर या अन्य कोई भी, उसने भी अग्निबाण (Agniban) की दबंगता और खबरों की भूख को स्वीकार किया है। एक अखबार के लिए 45 साल की यात्रा आसान नहीं है, मगर लाखों पाठकों की ताकत हमारे साथ है, जिसके चलते यह सफर इसी तरह जारी रहेगा और हम भरोसा दिलाते हैं कि खबरों और विचारों के साथ समझौता नहीं होगा। कैथरिन ग्राहम ने जो बात वर्षों पहले कही थी कि खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है, बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है, मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते…
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