उज्जैन। बिजली कटौती और ट्रिपिंग को लेकर प्रदेश में उपभोक्ता परेशान हैं। शहर से लेकर गांवों तक में लगातार बिजली गुल हो रही है और अब जनप्रतिनिधि भी इस कटौती को लेकर भोपाल तक फोन खडख़ड़ा रहे हैं। लिहाजा, अब भोपाल में बैठे अधिकारी भी हैरान हैं कि प्रदेश में अचानक बत्ती गुल होने की समस्या क्यों बढ़ गई है। इसी मामले को लेकर पिछले एक सप्ताह से चेयरमैन रघुराज रोजाना तीनों बिजली कंपनियों में 2 से 5 मिनट तक की भी बत्ती गुल की समीक्षा करते हुए जवाब-तलब कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में 4 महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं उनकी सत्ता की बिजली गुल न हो जाए। प्रदेशभर में हो रही बिजली कटौती और ट्रिपिंग के मामले अचानक बढऩे के बाद बिजली विभाग के भोपाल में बैठे आला अधिकारी समझ नहीं पा रहे कि बत्ती गुल होने का कारण क्या है। शिकायतों के बाद बिजली कंपनियों के चेयरमैन रघुराज माधव राजेंद्रन रोजाना दोपहर 12 से 1 बजे के बीच बिजली अधिकारियों से कारणों की समीक्षा कर रहे हैं। इसमें जिस फीडर या ट्रांसफार्मर से बिजली सप्लाई बंद हुआ, उसका कारण पूछा जा रहा है। जवाब अगर संतुष्टि पूर्ण नहीं मिल रहा तो हिदायत भी दी जा रही है। चेयरमैन जो समीक्षा कर रहे हैं, उसमें चार प्रमुख बिंदु है- ट्रिपिंग, ट्रांसफार्मर, सीआरपीयू और सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतें।
चुनावी मौसम में अधिकारियों-कर्मचारियों पर भी सख्ती नहीं कर सकते वरना…
चुनाव में मात्र चार माह बचे हैं और ऐसे मेंं बिजली का विषय बेहद संवेदनशील है और यदि विद्युत की आपूर्ति बाधित होती है तो सरकार को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में भोपाल में बैठे अधिकारियों की समस्या यह है कि वे विद्युत कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्ती भी नहीं कर सकते, क्योंकि यदि उन्होंने विरोध में कोई कदम उठा लिया तो सरकार को भारी पड़ सकता है।
इधर मेंटेनेंस के लिए बत्ती गुल करने की भी मनाही, उधर ट्रिपिंग होने पर चिल्ला-पुकार
इधर एक महीने पहले मेंटेनेंस के लिए भी बिजली बंद करने की मनाही के निर्देश प्रमुख सचिव संजय दुबे ने दिए थे। अब अधिकारियों की समस्या यह है कि बारिश के मौसम में यदि मेंटेनेंस नहीं किया जाएगा तो पेड़ों की डगालों के तार लाइनों पर गिरने से फीडर के फाल्ट होने की आशंका लगातार रहती है। बारिश के मौसम में अक्सर विद्युत कर्मचारी पेड़ों की छंटनी कर इस आशंका को खत्म करने के लिए मेंटेनेंस करते हैं, लेकिन प्रमुख सचिव के निर्देश के बाद मेंटेनेंस का काम रुका हुआ है, जिससे हल्की बारिश आते ही कई क्षेत्रों की बिजली बंद हो जाती है। अब अधिकारी खुद नहीं समझ पा रहे हैं कि वे मेेंटेनेंस के लिए शटडाउन लें या न लें। यदि लेते हैं तो भोपाल के निर्देशों की अवज्ञा होती है और नहीं लेते हैं तो बिजली बंद होने की समस्या खत्म नहीं हो सकती है।
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