यूएन। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के विशेष दूत क्रिस्टीन स्क्रेनर बर्गेनर ने चेतावनी दी हे कि म्यांमार(Myanmar) में जबरदस्त गृह युद्ध(Civil War) छिड़ने की आशंका है। उन्होंने इसको देखते जरूरी कदम उठाने की भी अपील की है। उनका कहना है कि वो स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने साफ किया है कि यदि इसको अभी नहीं रोका गया तो फिर पूरी दुनिया को इसको लंबे समय तक देखना और झेलना पड़ सकता है। उन्होंने इसको लेकर म्यांमार(Myanmar) के पड़ोसी देशों को भी आगाह किया है। क्रिस्टीन ने कहा है कि इस आशंका को देखते हुए साझा प्रयासों के तहत उठाए जाने वाले सभी जरूरी कदम और मौजूद विकल्पों को तलाशा जाना चाहिए।
एक वर्चुअल बैठक के दौरान क्रिस्टीन ने कहा कि सैन्य शासन द्वारा वहां पर लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है और सेना के खिलाफ आवाज उठाने वालों की हत्या की जा रही है। उन्होंने इस दौरान म्यांमार असिसटेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स (Myanmar Assistance Association for Political Prisoners) द्वारा दी गई जानकारियों को भी साझा किया। इसमें बताया गया है कि तख्तापलट के बाद से अब तक 2729 लोगों को सुरक्षाबलों द्वारा हिरासत में लिया गया है, जबकि 536 लोगों की मौत हुई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 10 मार्च को म्यांमार में हुई लोगों की हत्या की भी कड़ी निंदा की गई और सैन्य शासन को उखाड़ फेंकने की भी वकालत की गई। इसमें मांग की गई कि लोकतांत्रिक सत्ता को फिर से बहाल किया जाना चाहिए और आंग सांग सू की समेत सभी नेताओं को बिना शर्त तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। आपको बता दें कि म्यांमार की लोकतांत्रिक सरकार को सेना ने तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। इसके बाद म्यांमार के कमांडर इन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ मिन आंग ह्लेनिंग ने खुद को देश का प्रमुख घोषित करते हुए आंग सांग सू की समेत सत्ताधारी पार्टी के सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया था। ह्लेनिंग का आरोप है कि नवंबर 2020 में हुए चुनाव में सत्ताधारी पार्टी ने बड़े पैमाने पर धांधली की थी। सेना की तरफ से सू की पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं। देश में सेना द्वारा तख्तापलट के बाद से ही वहां पर सैन्य शासन के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन जारी है। इनमें अब तक करीब 500 से अधिक लोगों की जान सेना और सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई में हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर तरह इसकी कड़े स्वरों में निंदा की जा रही है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि म्यांमार में सैन्य शासन लागू हुआ है। म्यांमार में सैन्य शासन का लंबा इतिहास रहा है। करीब 5 दशकों तक वहां पर सैन्य शासन ही रहा है। इसी वजह से म्यांमार अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग रहा और उस पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगे। वर्ष 2015 में आंग सांग सू की ने चुनाव में जबरदस्त जीत हासलि की और सैन्य शासन का अंत हुआ था। इसके बाद ही म्यांमार पर से कई सारे प्रतिबंध हटा लिए गए थे और वहां पर विदेशी निवेश भी शुरू हुआ था।