वॉशिंगटन । अमेरिका(America) के विलममिंग्टन डेलावेयर (Wilmington Delaware)में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन (Quad Summit)की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)ने चीन को सुना दिया है। उन्होंने कहा कि क्वाड लंबे समय तक टिकने और स्वीकार करने के लिए है। यह किसी के खिलाफ नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए नियमों पर आधारित संगठन है और संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मसलों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का समर्थन करता है।
संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है क्वाड
पीएम मोदीन ने चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि यह संगठन चल रहे संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है। उन्होंने कहा, ‘हमारी बैठक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व तनावों से घिरा हुआ है। ऐसे में साझा डेमोक्रेटिक वैल्यूज के आधार पर क्वाड का मिलकर साथ चलना मानवता के लिए महत्वपूर्ण है। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। हम रूल बेस्ड इंटरनेशल ऑर्डर संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मसलों के शांतिपूर्ण ढंग से हल निकालने का समर्थन करते हैं। फ्री, ओपन, इनक्लूजिव और समृद्ध हिंद प्रशांत ही हमारी साझा प्रतिबद्धता है। हमने मिलकर स्वास्थ्य, सुरक्षा, क्रिटिकल ऐंड इमर्जिंग टेक्नॉलजी, कपैसिटी बिल्डिंग, क्लाइमेट चेंज जैसे क्षेत्रों में कई सकारात्मक और समावेशी इनेशेटिव लिए हैं। हमारा संदेश साफ है क्वाड सहयोग के लिए है । 2025 में क्वाड लीडर्स समिट का आयोजन भारत में करने में हमें खुशी होगी।’
भारत की खूब हुई तारीफ
क्वाड के नेताओं ने हिंद महासागर में भारत की भूमिका को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और भारत की जमकर तारीफ की। जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के आयोजन का समर्थन करने की बात कही। वहीं ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री अल्बानीज ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हिंद महासागर में महाशक्ति बनकर उभरा है। राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अमेरिका को भी भारत के अनुभवों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। पीएम मोदी ने क्वाड को वैश्विक भलाई की शक्ति बताया। उन्होंने कहा कि क्वाड लंबे समय तक टिकने और स्वीकार किए जाने के लिए है।
चीन को जवाब देने के लिए ही बना है क्वाड
बता दें कि इस साल क्वाड लीडर्स समिट भारत में ही होने वाली थी लेकिन जो बाइडेन इसे अपना गृह प्रांत में करवाना चाहते थे। जो बाइडेन का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है। अमेरिका में नवंबर में ही राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। बता दें कि इस चतुष्कोणीय गठबंधन का गठन ही चीन को जवाब देने के लिए किया गया है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान साथ आए हैं। 2017 में चारों देशों ने मिलकर संगठन बनाया और इस संगठन से चीन चिढ़ता है। क्वाड देशों, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान ने एक स्वर में दक्षिण चीन सागर को लेकर चिंता जताई है। बीजिंग का बिना नाम लिए क्वाड के डेक्लेरेशन में कहा गया, पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर की स्थिति को लेकर पर हम गंभीर हैं।
क्वाड शिखर सम्मेलन में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने संयुक्त घोषणा में कहा, “वैश्विक और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ, हम वैश्विक शांति, समृद्धि और सतत विकास करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और पहलों का समर्थन करना जारी रखेंगे। क्वाड राष्ट्रों ने कहा, “हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करेंगे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी सदस्यता में विस्तार करेंगे। इसे अधिक समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाएंगे।
UNSC में स्थायी सीट का मुद्दा भी उठा
क्वाड शिखर सम्मेलन में राष्ट्राध्यक्षों ने यूएनएससी की स्थायी सीटों के विस्तार पर जोर दिया। सुरक्षा परिषद में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन राष्ट्रों की भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा हुई। बता दें कि भारत भी लंबे समय से यूएनएससी में स्थायी सीट की मांग करता आया है। जो बाइडेन ने यूएनएससी में भारते स्थायी प्रतिनिधित्व की वकालत की है। क्वाड देशों ने अपने घोषणापत्र में सीमा पार आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की ‘स्पष्ट निंदा’ की।
आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करेंगे
क्वाड देशों ने आतंकवाद के खिलाफ चर्चा करते हुए मुंबई में 26/11 और पठानकोट हमलों की निंदा की। बयान में कहा गया, “हम अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप, आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद से उत्पन्न खतरों को रोकने, पता लगाने और उनका जवाब देने के व्यापक और निरंतर तरीके पर काम करेंगे। हम आतंकवादी हमलों के लिए जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
क्वाड देशों ने उत्तर कोरिया के “दुनिया को अस्थिर करने वाले बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों” की निंदा की और इसे “गंभीर खतरा” बताया। घोषणापत्र में कहा गया है, “हम उत्तर कोरिया द्वारा लगातार की जा रही बैलिस्टिक मिसाइलों के प्रक्षेपण और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों (यूएनएससीआर) का उल्लंघन करने की निंदा करते हैं।
बाइडेन और मोदी की मुलाकात
क्वाड सम्मेलन से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपसी हित के क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की। डेलावेयर के विलमिंगटन में स्थित बाइडेन ने अपने आवास पर मोदी का स्वागत किया और दोनों नेता एक दूसरे से गले मिले। दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र सहित वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। बाइडेन ने ‘एक्स’ पर कहा, “भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी इतिहास में किसी भी समय की तुलना में अधिक मजबूत, घनिष्ठ और अधिक गतिशील है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ जब भी हम बैठते हैं, मैं सहयोग के नए क्षेत्रों को खोजने की हमारी क्षमता से बहुत प्रसन्न होता हूं। आज भी कुछ अलग नहीं था।”
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