डेस्क। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद हाल के दिनों में आतंकवादी गुट बेखौफ घूमते हुए अब तक इतिहास में सबसे ज्यादा आजादी का आनंद ले रहे हैं। यह बात संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अभी ऐसा कोई संकेत नहीं है कि तालिबान ने विदेशी आतंकवादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कोई कदम उठाया है।
इस अहम रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आतंकी गुट इस्लामिक स्टेट (आईएस) का मकसद खुद को अफगानिस्तान में ‘मुख्य प्रतिवादी ताकत’ के रूप में स्थापित करने का है। वह अपना प्रभाव मध्य और दक्षिण एशिया के देशों तक फैलाने के प्रयास में जुटा है। आईएस को तालिबान भी अपने प्राथमिक सशस्त्र खतरे के तौर पर देखता है। आईएस द्वारा अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए पैदा किए गए खतरे और इस खतरे का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से सदस्य देशों को किए जाने वाले सहयोग पर आधारित 14वीं महासचिव की रिपोर्ट में जिक्र है कि 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान का सुरक्षा परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा कोई संकेत नहीं है कि तालिबान देश में विदेशी आतंकवादी लड़ाकों की गतिविधियों को सीमित करने के लिए कदम उठा रहा है।
आईएस का नेतृत्व गफ्फारी के पास
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान जाने वाले विदेशी आतंकी लड़ाकों की संख्या कम है। जबकि देश में सक्रिय आईएस का नेतृत्व अब भी सनाउल्ला गफ्फारी के पास है जो अफगानिस्तानी नागरिक है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आईएस और अल कायदा प्रतिबंध समिति ने गफ्फारी को पिछले साल दिसंबर में आतंकवादियों की सूची में डाला था।
पंजशीर में सशस्त्र संघर्ष, तालिबान ने परांध घाटी घेरी
तालिबान ने अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत में परांध घाटी को घेर लिया है और स्थानीय लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक निवासियों और तालिबान के बीच यह सशस्त्र संघर्ष तालिबान के एक वाहन के खदान धमाके की चपेट में आने के बाद 7 फरवरी से जारी है। नया संघर्ष ऐसे समय में आया है जब विदेशी मदद रुकने और देश में गरीबी का स्तर बढ़ने से देश आर्थिक संकट में है।
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