नई दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने बुधवार को एक अहम कदम उठाते हुए फिलिस्तीन (Palestine) द्वारा प्रस्तावित मसौदा प्रस्ताव (Draft Proposal) को स्वीकार किया है, जिसमें इजरायल से उसके कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों से अपनी “अवैध मौजूदगी” को समाप्त करने की मांग की गई है. इस प्रस्ताव को 124 वोटों का समर्थन मिला, जबकि भारत समेत 43 देशों ने मतदान से परहेज किया. वहीं इजरायल, अमेरिका और 12 अन्य देशों ने इसके खिलाफ वोट किया.
यूएनजीए से प्रस्ताव पास होने के बाद इजरायल वैश्विक मंच पर अलग-थलग हो गया है. यह प्रस्ताव तब पारित हुआ है, जब ग्लोबल लीडर्स यूएनजी मीटिंग के लिए न्यूयॉर्क पहुंच रहे हैं. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू 26 सितंबर को 193 सदस्यीय महासभा को संबोधित करेंगे, उसी दिन फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास भी वहां मौजूद होंगे.
UN General Assembly ADOPTS resolution demanding that Israel “brings to an end without delay its unlawful presence” in the Occupied Palestinian Territory, and do so within 12 months
Voting result
In favor: 124
Against: 14
Abstain: 43 pic.twitter.com/hIwn7y6EY4— UN News (@UN_News_Centre) September 18, 2024
कब्जे को खाली करने के लिए 12 महीने का समय
प्रस्ताव में इंटरेशनल कॉर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) द्वारा जुलाई में दी गई एडवाइज का स्वागत किया गया है, जिसमें कहा गया था कि फिलिस्तीनी क्षेत्रों और बस्तियों पर इजरायल का कब्जा अवैध है और इन्हें खाली किया जाना चाहिए. इंटरनेशनल कोर्ट ने कहा था कि यह काम “जितनी जल्दी हो सके” किया जाना चाहिए. हालांकि, यूएनजीए द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव में इसके लिए 12 महीने की समय-सीमा तय की गई है.
इजरायल से आयात करने वाले देशों से अपील
महासभा के प्रस्ताव में सदस्य देशों से अपील की गई है कि वे इजरायली बस्तियों में बनाए गए प्रोडक्ट्स के आयात को रोकें, हथियार, गोला-बारूद और संबंधित उपकरणों पर भी रोक लगाएं, जहां प्रस्ताव में कहा गया है कि इनका इस्तेमाल इजरायल कब्जे वाले क्षेत्रों में कर सकता है.
प्रस्ताव का पास होने फिलिस्तीन के लिए एक जीत
इस प्रस्ताव ने न सिर्फ फिलिस्तीनी मुद्दे को एक बार फिर प्रमुखता से उठाया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी इजरायल के कब्जे के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की है. इसे फिलिस्तीन के लिए राजनीतिक मोर्चे पर एक जीत की तरह देखा जा रहा है, जबकि इजरायल और उसके समर्थक देशों की चुनौती बढ़ सकती है.
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