नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) की एक अदालत ने सोमवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद (JNU alumnus Umar Khalid) को उसकी बहन की शादी के लिए एक सप्ताह की अंतरिम जमानत (Interim bail) प्रदान की. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत (Additional Sessions Judge Amitabh Rawat) ने खालिद को 23 से 30 दिसंबर तक के लिए जमानत दी. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता खालिद ने अपनी बहन की शादी (sister’s wedding) के लिए दो हफ्ते की अंतरिम जमानत के वास्ते अर्जी दायर की थी.
मामले की सुनवाई के दौरान खालिद के वकील ने विभिन्न फैसलों का हवाला दिया, जिनमें गैर-कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत आरोपी को जमानत दी गई है. हालांकि विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अधिकांश निर्णय इस मामले में प्रासंगिक नहीं हैं क्योंकि वे अंतरिम जमानत से संबंधित नहीं थे, बल्कि वे विशेष परिस्थितियों के कारण हिरासती पैरोल या अंतरिम हिरासती जमानत देने से संबंधित थे.
इससे पहले अदालत ने 5 दिसंबर को दिल्ली दंगों के एक मामले में उमर खालिद और ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी को आरोपमुक्त करते हुए कहा था कि आरोप व्यापक साजिश (अंब्रेला कांस्पिरेसी) से जुड़े हैं. व्यापक साजिश (अंब्रेला कांस्पिरेसी) की अवधारणा की व्याख्या करते हुए अदालत ने कहा कि यह एक व्यापक साजिश के तहत रचे गये कई छोटे षड्यंत्रों को एक साथ रखना है. अदालत ने तारिक मोइन रिजवी, जगर खान और मोहम्मद इलियास को भी आरोपमुक्त कर दिया.
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. खालिद पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत कथित रूप से फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों का मुख्य षड्यंत्रकारी होने का मामला दर्ज किया गया था. गौरतलब है कि दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 700 से अधिक लोग घायल हुए थे. दिल्ली पुलिस ने सितंबर 2020 में खालिद को गिरफ्तार किया था.
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