नई दिल्ली: दिल्ली दंगा मामले में शुक्रवार को बड़ा पर्दाफाश हुआ. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि उमर खालिद और उनके पिता बांग्लादेशी घुसपैठियों को दिल्ली लाए थे. उमर खालिद के पिता जहांगीरपुरी भी गए थे, जहां पर दंगे भड़के. इन्हीं घुसपैठियों ने शाहीन बाग में प्रदर्शन किया और राजधानी की सुरक्षा को खतरे में डाला. साल 2020 में हुए दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में गिरफ्तार आरोपी उमर खालिद, शारजील इमाम सहित दूसरे अन्य आरोपियों की जमानत से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की बेंच ने पूरा मामला सुना. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उमर खालिद ने जहांगीरपुरी के उन लोगों की तलाश की थी, जिन्हें विरोध प्रदर्शन पर पथराव करने के लिए ले जाया गया था. सबूत के तौर पर एक पीडीएफ पेश करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा, पीडीएफ में कुछ समस्या है क्योंकि हाइलाइट किया गया पूरा हिस्सा काला हो गया है.इस मसले पर जस्टिस नवीन चावला ने मुस्कुराते हुए कहा, कोई कहेगा कि वहां वायरस लाया गया है, ये भी साजिश का हिस्सा है.
बांग्लादेशी नागरिकों से जुड़े मुद्दों को भी हाईकोर्ट के सामने रखा गया. कोर्ट को ये बताया गया कि शाहीन बाग में काफी बांग्लादेशी नागरिकों को बुलाकर शाहीनबाग और जाफराबाद वाले प्रदर्शन स्थल पर लाया गया. उन बांग्लादेशी नागरिकों को विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार किया गया. अवैध बांग्लादेशियों की मदद से जहांगीरपुरी में दंगे करवाए गए.
उमर खालिद, शरजिल इमाम समेत कई लोगों को UAPA यानी गैर कानूनी रोकथाम अधिनियम सहित कई संगीन धाराओं के तहत दर्ज मामले में गिरफ्तार किया गया है. कई को जमानत नहीं मिल पाई है. CAA प्रोटेस्ट के दौरान हुई इस हिंसा मामले में करीब 53 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और करीब 700 से ज्यादा लोग हिंसा के दौरान ज़ख्मी हुए थे. अक्तूब 2022 में हाईकोर्ट से जमानत याचिका के खारिज होने के बाद दूसरी बार उमर खालिद ने पिछले साल 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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