भोपाल। भाजपा की उम्मीदों को उड़ान देने वाले उपचुनाव के परिणाम सियासी समीकरणों को बदलने के संकेत भी दे रहे हैं। प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं उमा भारती ने पृथ्वीपुर सीट कांग्रेस से छीनकर भाजपा को देने में अहम भूमिका निभाई, जिसे उनकी प्रदेश की सियासत में मजबूत वापसी के रूप में देखा जा रहा है। ये उनका गृह क्षेत्र है, जहां वह न केवल लगातार सक्रिय रहीं, बल्कि 13 सभाएं कीं। साथ ही जनसंपर्क और सामाजिक संगठनों के संपर्क में भी रहीं। उमा भारती ने पृथ्वीपुर में जातिगत समीकरणों को साधने में भी खासी भूमिका निभाई। उनके साथ मंत्रियों गोपाल भार्गव, विश्वास सारंग, भारत सिंह कुशवाह और मुकेश चतुर्वेदी सहित पार्टी के कई प्रमुख पदाधिकारी भी मोर्चे पर डटे हुए थे। दरअसल, उमा भारती ने पिछले साल हुए 28 सीटों के उपचुनाव के दौरान चुनावी राजनीति में वापसी की इच्छा जताई थी, लेकिन वह मप्र या उप्र में कहां से उम्मीदवारी की इच्छुक हैं, ये स्पष्ट नहीं था।
स्टार प्रचारक से आगे अब नए दौर की तैयारी
सियासी विश्लेषक उमा भारती को स्टार प्रचारक से आगे एक नए दौर की तैयारी करते हुए देख रहे हैं। उन्होंने जिस तरह पूरे क्षेत्र में जमावट की, चुनावी रणनीतियों को संचालित किया और अपने परिचित अंदाज में कार्यकर्ताओं व समर्थकों को सक्रिय किया, उसे महज उपचुनाव की जीत तक सीमित नहीं माना जा सकता है। उनके करीबी भी संकेत कर रहे हैं कि उमा भारती ने पृथ्वीपुर में सक्रियता से लोकसभा चुनाव की तैयारियों को श्रीगणेश कर दिया है। हालांकि ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह मप्र से ही दावेदारी करेंगी या उत्तर प्रदेश से।
इनका कहना है
भाजपा संगठन की विशेषता है कि जिस नेता या कार्यकर्ता को संगठन जो जिम्मेदारी देता है, उसे वह पूरी ताकत से निभाता है। उमा भारती जीवंत संगठन की धड़कन हैं। बुंदेलखंड की हर तासीर से अवगत हैं। मात्र पृथ्वीपुर सीट नहीं बल्कि पार्टी की हर सफलता में उनका भी अथक योगदान है। उमा सामंतवाद की दहशत के दमन की आवाज रही हैं।
रजनीश अग्रवाल, प्रदेश मंत्री, भाजपा, मध्य प्रदेश
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