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    रायसेन के मंदिर का ताला न खुलने पर उमा भारती ने अन्न त्यागा

  • April 11, 2022


    रायसेन/भोपाल । मध्य प्रदेश (MP) के रायसेन (Raisen) जिले के किले में स्थित सोमेश्वर महादेव के मंदिर (Someshwara Mahadev Temple) का सोमवार (Monday) को ताला नहीं खुला (Was Not Opened) तो उन्होंने अन्न त्याग दिया (Gave up Food) । पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ताला बंद होने से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ा पाईं। इसका उन्हें मलाल है और उन्होंने एलान किया है कि जब तक मंदिर का ताला नहीं खुल जाता और वे शिवलिंग को गंगाजल नहीं चढ़ा देतीं, तब तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगी।


    ज्ञात हो कि बीते दिनों कथा प्रवाचक पं प्रदीप मिश्रा ने सोमेश्वर महादेव मंदिर के बंद रहने पर सवाल उठाए थे, साथ ही कहा था कि जब शिव जी कैद हैं तो यह राज किस काम का। उसके बाद से यह मंदिर चर्चाओं में है। पं मिश्रा के बयान के बाद उमा भारती ने कई ट्वीट कर परंपराओं का हवाला देते हुए नवरात्रि के बाद के पहले सोमवार को मंदिर पहुंचकर गंगोत्री जल चढ़ाने का ऐलान किया था।

    उमा भारती अपनी पूर्व घोषणाा के मुताबिक, सोमवार को रायसेन के सोमेश्वर महादेव के मंदिर पहुंची मगर मंदिर में ताला लगा हुआ था और उन्होंने बाहर से ही पूजन किया। उसके बाद जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे बहुत कष्ट हुआ जब मैं सोमेश्वर महादेव को जल नहीं चढ़ा सकी। यह कष्ट इतना ज्यादा था, मेरा सुख चैन चला गया, इसलिए मैंने तय किया है कि जब तक सोमेश्वर महादेव को जल नहीं चढ़ेगा, तब तक अन्न ग्रहण नहीं करुंगी।

    उमा भारती के अन्न त्यागने के ऐलान पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने तंज कसा है। उन्होंने कहा, उमा भारती एवं शिवराज सिंह चौहान के बीच में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है जो अब सड़कों पर दिखाई देने लगी है पहले भोपाल में शराब की दुकान पर हमला कर तोड़फोड़ की गई और अब रायसेन में भगवान शंकर जी के शिवलिंग के दर्शन करने उमा भारती द्वारा जिद की जा रही है। प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी जा रही है भूख हड़ताल की धमकी दी जा रही है उमा भारती तरह-तरह के प्रपंच कर रही है नाटक नौटंकी कर रही है। अपने आप को राजनीतिक रूप से प्रासंगिक दिखाने के लिए दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान एवं उनका प्रशासन किसी भी तरह से उमा भारती के मंसूबे सफल नहीं होने दे रहा है।

    बताया जाता है कि रायसेन किले में सोमेश्वर धाम मंदिर का निर्माण 10वीं से 11वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इसे परमारकालीन राजा उदयादित्य ने बनवाया था। उस दौर में राजघराने की महिलाएं मंदिर में पूजा-अर्चना करने आती थीं। इस मंदिर में भगवान शंकर के दो शिवलिंग स्थापित हैं।
    ज्ञात हो कि यह मंदिर काफी लंबे अरसे से बंद था और 1974 तक मंदिर पर ताले लगे रहे। एक बड़े आंदोलन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता प्रकाशचंद सेठी ने खुद मंदिर के ताले खुलवाए थे। इस मंदिर के पट साल में एक बार महाशिवरात्रि पर 12 घंटे के लिए खोले जाते हैं। इस दिन यहां मेला भी लगता है।

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