भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Election 2023) से पहले बीजेपी नेताओं से नाराज चल रहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने चौंका दिया है। पिछले हफ्ते ही शिवराज सरकार में उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी (Rahul Lodhi) को मंत्री बनाया गया तो उनके करीबी प्रीतम लोधी (BJP) को बीजेपी (BJP) ने टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा. इसके बाद भी आखिर उमा भारती की बीजेपी से नाराजगी की क्या वजह है और क्यों वह पार्टी को याद दिला रही हैं कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2020 में सरकार बनाने में मदद की तो उन्होंने भी 2003 में बड़ी बहुमत वाली सरकार बनवाई है.
दरअसल, मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अपनी पार्टी यानी बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची पर सवाल उठाया है. उन्होंने इशारों-इशारों में ओबीसी वर्ग की महिलाओं को पर्याप्त टिकट न देने पर तंज भी किया है. उन्होंने कहा कि अभी तो आखिरी सूची के बाद हम इसका भी आकलन कर लेंगे कि कितने पिछड़े वर्गों की महिलाओं को टिकट मिले. इससे मेरी पिछड़े वर्गों की महिलाओं के आरक्षण की मांग सबको सही लगेगी.
यहां बताते चले कि बीजेपी ने चार किस्तों में अपने 136 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. शेष बचे 94 उम्मीदवारों की सूची भी अगले एक-दो दिनों में जारी कर देने की संभावना है. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के सोशल मीडिया X पर किए गए ट्वीट ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है.
‘आखिरी सूची के बाद हम उसका भी आकलन कर लेंगे’
उमा भारती ने पार्टी के लिए नसीहत भरे अंदाज में आगे कहा कि हमने शायद जीतने की योग्यता को ही आधार माना है. हमारी पार्टी निष्ठा एवं नैतिक मूल्यों की पुजारी रही है. हमें जीतने की लालसा एवं पराजय के भय से मुक्त होना चाहिए और दिखना भी चाहिए. उन्होंने इकबाल के शेर की एक लाइन “गुफ्तार का ये गाजी तो बना, किरदार का गाजी बन न सका: का जिक्र करते हुए आगे लिखा कि अभी तो आखिरी सूची के बाद हम इसका भी आकलन कर लेंगे कि कितने पिछड़े वर्गों की महिलाओं को टिकट मिले, इससे मेरी पिछड़े वर्गों की महिलाओं के आरक्षण की मांग सबको सही लगेगी.
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा कहते है कि उमा भारती सीधे-सीधे पार्टी के बड़े नेताओं पर ताने मार रही है. महिला आरक्षण के भीतर ओबीसी वर्ग की महिलाओं को अलग से आरक्षण का प्रावधान न होने को लेकर वे पहले से नाराजगी दिखा चुकी है. अब पार्टी की टिकटों में ओबीसी महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न मिलने से उनकी नाराजगी बढ़ गई है.
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