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    यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भारत को दिया बड़ा ऑफर, क्या स्वीकार करेगी मोदी सरकार

  • August 26, 2024


    कीव: यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की (Ukrainian President Volodymyr Zelensky) ने रविवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social media platforms) पर भारतीय पत्रकारों (Indian journalists) के साथ की गई बातचीत को साझा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि शांति पर दूसरे शिखर सम्मेलन (Summit) के संबंध में सऊदी अरब, कतर, तुर्की और स्विटजरलैंड के साथ बातचीत चल रही है। जेलेंस्की ने यह भी कहा कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि वे भारत द्वारा शांति पर दूसरे शिखर सम्मेलन की मेजबानी का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे कीव को वैश्विक दक्षिण के देशों में से एक मेजबान मिलने की उम्मीद है।


    जेलेंस्की ने क्या कहा

    जेलेंस्की ने कहा, “लेकिन मैं स्पष्ट होना चाहता हूं, और यह केवल भारत पर ही लागू नहीं होता है, बल्कि किसी भी देश पर लागू होता है जो दूसरे शिखर सम्मेलन की मेजबानी के बारे में सकारात्मक होगा। हम ऐसे देश में शांति शिखर सम्मेलन आयोजित नहीं कर पाएंगे जो अभी तक शांति शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ है।” यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को मोदी के साथ बैठक के दौरान विज्ञप्ति और पिछले शांति शिखर सम्मेलन के सभी बिंदुओं पर चर्चा की।

    पहले शांति सम्मेलन में भारत का क्या था रुख

    मोदी सरकार ने शांति सम्मेलन की मेजबानी पर अभी तक कुछ नहीं कहा है। यहां तक कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता के संभावना को भी खारिज किया है। पहला शांति सम्मेलन स्विट्जरलैंड में आयोजित किया गया था, जिसमें खुद जेलेंस्की ने फोन कर पीएम मोदी को शामिल होने का न्योता दिया था। इसके बावजूद न तो पीएम मोदी गए और ना ही विदेश मंत्री एस जयशंकर। भारत को इस शांति सम्मेलन के साझा घोषणापत्र से भी खुद को दूर कर लिया था।

    भारत के सामने बड़ी चुनौती

    भारत के सामने जेलेंस्की के शांति सम्मेलन के आयोजन को स्वीकारने की चुनौती है। पहले सम्मेलन में रूस को आमंत्रित नहीं किया गया था। उस सम्मेलन में सिर्फ रूस विरोधी और यूक्रेन समर्थक नेता शामिल हुए थे। इस दौरान सबने सिर्फ रूस की ही बुराई की थी। इस शांति सम्मेलन का जमीन पर कुछ भी असर नहीं देखा गया। ऐसे में भारत के सामने पहली चुनौती रूस को बुलाने की होगी। अगर रूस आता भी है तो कोई जरूरी नहीं कि इस शांति सम्मेलन का कोई हल निकले ही।

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