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मजदूरी कराने रूसी सेना ले जा रही यूक्रेनी लोगों को, जानिए आरोप

March 21, 2022

कीव। यूक्रेन पर रूस के हमले के 25 दिन बाद भी जहां भीषण युद्ध (fierce battle) जारी है। रूस की सेना का यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में हमला जारी है। यूक्रेन पर रूस के हमले की भयावहता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अब तक सवा करोड़ से अधिक लोग युद्ध पीड़ित (war victims) के रूप में चिह्नित किये गए हैं। इनमें से 32 लाख ने यूक्रेन छोड़कर आसपास के देशों में शरण ली है। यूक्रेन (war victims) में फंसे लाखों लोग बिजली-पानी को तरस रहे हैं।
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां रहने वालों की जिंदगी दुश्वार हो गयी है। संयुक्त राष्ट्र संघ की शरणार्थी एजेंसी के अनुसार 32 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। लाखों अन्य लोग देश के भीतर ही विस्थापित हैं। एजेंसी का दावा है कि एक करोड़ 30 लाख लोग युद्ध से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

इन दिनों यूक्रेनी शहर मारियुपोल पर रूसी सेनाओं की बमबारी की खबरें आ रही हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने मारियुपोल में रूस की सेनाओं की ज्यादती की तीखी आलोचना की है। जेलेंस्की ने कहा कि रूस की ओर से मारियुपोल की घेराबंदी ऐसा आतंक है जिसे आने वाली सदियों तक याद किया जाएगा।
मारियुपोल सिटी काउंसिल ने बयान जारी करके दावा किया है कि यहां के निवासियों को उनकी इच्छा के खिलाफ रूस ले जाया जा रहा है। एक सांसद ने दावा किया है कि उन लोगों को रूस के दूर-दराज के इलाकों में जबरन मजदूरी कराने ले जाया जा रहा है। सिटी काउंसिल की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ”कब्जा करने वाले यूक्रेन से लोगों को रूस जाने को मजबूर कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में मारियुपोल के कई हजार निवासियों को रूसी क्षेत्र में ले जाया गया है।”



पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादियों ने कहा कि पांच मार्च के बाद से 2,973 लोगों को मारियुपोल से रूस ले जाया गया है, जिनमें पिछले 24 घंटों में ले जाए गए 541 यूक्रेनवासी भी शामिल हैं। मारियुपोल सिटी काउंसिल की ओर से जारी बयान में दावा किया गया है कि रूस के सुदूर इलाकों में भेजे जाने से पहले यूक्रेनवासियों के मोबाइल फोन और दस्तावेजों की जांच रूसी सुरक्षाकर्मियों की ओर से की गई।
अब रूस के युवा भी दूसरे देशों में कर रहे पलायन
यूक्रेन पर रूस के हमले के 25 दिन बाद भी जहां भीषण युद्ध जारी है। वहीं यूक्रेन के लाखों लोगों के देश से पलायन करने के साथ ही अब रूस के युवा भी दूसरे देश पलायन कर रहे हैं।

आर्मेनिया की राजधानी येरेवन में मास्को की 29 वर्षीय एक वेब डिजायनर पोलिना लोसेवा ने कहा कि यह ऐसा युद्ध है जिसके बारे में मैंने सोचा था कि यह कभी नहीं हो सकता। पोलिना रूस की एक निजी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी में काम करती हैं। उन्होंने कहा कि जब से यह शुरू हुआ है, मुझे अब लगता है कि सब कुछ संभव है। फेसबुक पर कुछ शब्दों के लिए वे लोगों को जेल में डाल रहे हैं। इसलिए रूस छोड़ना सुरक्षित था।
यह एक अलग तरह का पलायन है जिसमें हजारों युवा, शहरी और कहीं से भी काम करने में सक्षम बहुभाषीय पेशेवर शामिल हैं। इनमें से कई सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर या सृजनात्मक उद्योगों में काम करने वाले फ्रीलांसर है। अधिकारियों के मुताबिक युद्ध शुरू होने से पहले आर्मेनिया में महज तीन से चार हजार रूसी कामगार के रूप में पंजीकृत थे। लेकिन पिछले दो हफ्तों से लगभग इतने ही रूसी प्रतिदिन इस छोटे से देश में आ रहे हैं। अभी दसियों हजार रूसी अन्य देशों में नया जीवन शुरू करने बारे में विचार कर रहे हैं।

 

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