कीव। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण (Russia’s invasion of Ukraine) के 14वें दिन भी आसमान पर विमान बम गिरा रहे हैं। जमीन पर दोनों देशों की सेना आमने-सामने संघर्ष (face to face conflict) कर रही है। एक तरफ जहां यूक्रेन (Ukraine) झुकने को तैयार नहीं तो तो वहीं रूस (Russia’s ) भी रूकने का नाम नहीं ले रहा है।
बता दें कि रूस के आक्रमण के 14वें दिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के तेवर कुछ नरम पड़े हैं। वह दोनों देशों के बीच जारी सामरिक मोर्चे की जड़ को खत्म करने के लिए आगे आए हैं। उन्होंने कहा है कि वह डोनेट्स्क और लुगांस्क पर समझौता करने को तैयार हैं।
वहीं दुनिया से मदद की अपील कर चुके राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें नाटो का सदस्य नहीं बनना। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यूक्रेन अब नाटो की सदस्यता नहीं लेगा। वह रूस समर्थक दो क्षेत्रों डोनेट्स्क और लुगांस्क की स्थिति पर ‘समझौता’ करने के लिए तैयार हैं।
बता दें कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे रूस लगातार पश्चिमी समर्थक यूक्रेन पर हमले की एक बड़ी वजह बताता रहा है। लिहाजा अब उम्मीद की जा सकती है कि रूस युद्ध रोकने पर विचार करे। रूसी सेना के हमलों के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने कहा कि नाटो रूस से नहीं भिड़ेगा और अब हम इस गठबंधन में शामिल होना नहीं चाहते। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि वो दो रूसी समर्थक क्षेत्रों की स्थिति पर समझौते को लेकर खुला रुख रखते हैं। जिन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने यूक्रेन पर हमले के पहले स्वतंत्र देश घोषित किया था।
जेलेंस्की ने दिए एक इंटरव्यू में कहा कि मैं इस सवाल के बारे में बहुत पहले ही शांत हो गया था जब हम समझ गए थे कि नाटो यूक्रेन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। नाटो गठबंधन विवादित चीजों से भयभीत है और रूस से टकराव से भी’। नाटो सदस्यता पर जेलेंस्की ने कहा कि वह किसी ऐसे देश का राष्ट्रपति नहीं रहना चाहते, जो घुटनों के बल बैठकर किसी चीज की भीख मांगे। बता दें कि नाटो गठबंधन की स्थापना शीत युद्ध की शुरुआत में यूरोप को सोवियत संघ से बचाने के लिए की गई थी।
बता दें कि रूस नाटो के विस्तार को अपने लिए खतरे के तौर पर देखता है। उसकी चिंता है कि नए पश्चिमी सदस्यों की वजह से नाटो की सेना उसके बॉर्डर के काफी करीब पहुंच जाएगी। यही वजह है कि वह यूक्रेन के नाटो गठबंधन में शामिल होने का लगातार विरोध करता रहा है। यूक्रेन पर हमले का आदेश देने से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादी क्षेत्रों डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र देश की मान्यता दी । पुतिन अब चाहते हैं कि यूक्रेन भी इन क्षेत्रों को संप्रभु और स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे।
वहीं जब यूक्रेन के राष्ट्रपति से रूस की डिमांड के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह बातचीत करने के लिए तैयार हैं। वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा, ‘मैं सुरक्षा गारंटी के बारे में बात कर रहा हूं. इन दो क्षेत्रों को रूस के अलावा किसी ने भी मान्यता नहीं दी है, लेकिन हम चर्चा कर सकते हैं और समझौता कर सकते हैं कि ये क्षेत्र कैसे रहेंगे’। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह जरूरी है कि इन क्षेत्रों के वे लोग कैसे रहेंगे जो यूक्रेन का हिस्सा बनना चाहते हैं। इसलिए यह सवाल उन्हें मान्यता देने से ज्यादा मुश्किल है। प्रेसिडेंट ने आगे कहा कि यह एक और अल्टीमेटम है और हम अल्टीमेटम के लिए तैयार नहीं है। पुतिन के लिए जरूरी है कि उन्हें बातचीत शुरू करनी चाहिए।
विदित है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को आक्रमण शुरू करने से ठीक पहले इन दोनों को स्वतंत्र घोषित कर उन्हें मान्यता दी थी। यही वह मुद्दा है जिसे रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की जड़ माना जा रहा है।
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