संयुक्त राष्ट्र । भारत (India) ने अनाज और उर्वरकों के निर्यात (Export of Grain and Fertilizers) पर रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच हाल में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की मध्यस्थता में हुए समझौते का स्वागत किया और उम्मीद जताई है कि इसे सभी पक्षों द्वारा ”ईमानदारी से” लागू किया जाएगा। इसके साथ ही भारत यह आगाह करने से भी नहीं चूका कि आज की वैश्विक परिस्थितियों और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukraine War) के हालातों के बीच उक्त उपाय अकेले खाद्य असुरक्षा की चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र ( United Nations) में भारत के स्थायी मिशन के प्रभारी राजदूत आर. रवींद्र (R. Ravindra) ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव केवल यूरोप (Europe) तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष विशेष रूप से विकासशील देशों में खाद्य, उर्वरक और ईंधन सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार को रूस और यूक्रेन ने तुर्किये और संयुक्त राष्ट्र के साथ अलग-अलग समझौते कर लाखों टन यूक्रेनी अनाज तथा रूसी खाद्यान्न और उवर्रक के निर्यात का मार्ग प्रशस्त किया था। रवींद्र ने कहा कि भारत खाद्य सुरक्षा पर संघर्ष के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए रचनात्मक रूप से काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और उर्वरकों का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने परिषद को बताया कि भारत वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ-साथ देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर खाद्यान्न की आपूर्ति करता रहा है। रवींद्र ने कहा, ‘हम अपने पड़ोसी श्रीलंका को उनकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करना जारी रख रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि युद्ध के परिणामस्वरूप कई लोगों की जान चली गई और लाखों लोग बेघर हो गए और उन्हें पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। रवींद्र ने कहा कि यूक्रेन में संघर्ष की शुरुआत के बाद से, भारत ने हिंसा को समाप्त करने का लगातार आह्वान किया है।
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