वॉशिंगटन । रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने रूसी सेना (Russian military) को यूक्रेन (Ukraine) पर पूरी ताकत से हमले का आदेश दिया है, तो उसके जवाब में कई यूरोपीय देश (European countries) यूक्रेन को मदद दे रहे हैं. इसमें जर्मनी भारी हथियार (Germany Heavy weapons), मिसाइल, एंटी-टैंक हथियार (missiles, anti-tank weapons) दे रहा है, तो पोलैंड ने गोला-बारूद ( Poland ammunition) का सामान भेजा है. ग्रीस, यूके जैसे देशों ने मेडिकल हेल्प (Greece-UK medical aid) भेजी है तो अमेरिका ने नकदी 350 मिलियन डॉलर (US $350 Million Cash) भेजे हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि रूस को रोकने के लिए बहुत सारे देश एकजुट हो रहे हैं. ऐसे में यूक्रेन से पार पाना रूस के लिए भी आसान नहीं रह गया है.
जर्मनी ने घोषणा की है कि वो यूक्रेन को एंटी-टैंक हथियारों की बड़ी खेप देगा. ताकि यूक्रेनी शहरों में बढ़ रहे रूसी टैंकों को नष्ट किया जा सके. इसके अलावा जर्मनी 500 स्टिंगर सरफेस-टू-एयर मिसाइल भी यूक्रेन को दे रहा है. ताकि वो रूसी फाइटर जेट्स को नीचे से ही ढेर कर सके. ये यूक्रेन को हथियारों की सबसे बड़ी मदद में से एक है. जर्मनी ने युद्ध का सामना कर रहे यूक्रेन की सेना को पांच हजार हेलमेट भेजे हैं. सेना के एक प्रवक्ता ने जर्मनी की ओर से यूक्रेनी सेना के लिए हेलमेट भेजे जाने की जानकारी दी है.
पोलैंड के राष्ट्रपति मारिउज़ ब्लेस्ज़्ज़ाक ने इस संबंध में शुक्रवार को ट्वीट करते हुए लिखा- हम गोला-बारूद के साथ यूक्रेन को अपना काफिला सौंपते हैं, जो वहां पहुंच चुका है. हम यूक्रेनियन का समर्थन करते हैं, हम एकजुट होकर खड़े हैं रूसी आक्रमण का दृढ़ता से विरोध करते हैं. नीदरलैंड ने युद्ध का सामना कर रहे यूक्रेन को अपने हवाई क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 200 एयर डिफेंस रॉकेट्स देने का ऐलान किया है. नीदरलैंड सरकार की ओर से शनिवार को देश की संसद में इस बात की जानकारी दी गई है.
बता दें कि यूक्रेन पर रूसी सैनिक भारी पड़ रहे हैं. इस बीच कई देशों ने यूक्रेन को मदद की पेशकश की है. अमेरिका, ब्रिटेन समेत 28 देशों ने यूक्रेन को मेडिकल सप्लाई के साथ सैन्य सहायता देने पर सहमति जताई है. इसके साथ ही इन देशों ने यूक्रेन को हथियार भी मुहैया कराने की बात कही है. रूसी सैनिकों की ओर से किए जा रहे हमले में भारी संख्या में लोग हताहत हुए हैं. यूक्रेन में नागरिकों के साथ-साथ सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया जा रहा है.
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