मास्को: अमेरिकी प्रतिबंधों को धता बताते हुए शीर्ष रूसी तेल उत्पादक कंपनी रोसनेफ्ट ने गुरुवार को आधे साल के शुद्ध लाभ में 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 432 बिलियन रूबल (7.22 बिलियन डॉलर) की वृद्धि दर्ज की है. रूसी तेल कंपनियों को यूक्रेन पर किये गए हमले के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है, जिसने रूस के वैश्विक व्यापार और लेनदेन की प्रणाली को बाधित किया है.
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार रोसनेफ्ट के मुख्य कार्यकारी इगोर सेचिन ने एक बयान में बताया कि कंपनी प्रतिकूल बाहरी कारकों और गैरकानूनी प्रतिबंधों के अभूतपूर्व दबाव के बावजूद उम्दा प्रदर्शन करने में सफल रही है. 24 फरवरी को यूक्रेन में मास्को द्वारा विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद से रूस ने पश्चिमी निवेश को अपने देश से जाते हुए देखा था.
इसी कड़ी में ब्रिटिश तेल कंपनी बीपी ने फरवरी में घोषणा की कि वह रोसनेफ्ट में अपनी 25 बिलियन डॉलर मूल्य की 19.75 प्रतिशत हिस्सेदारी को छोड़ रहा है. बीपी के जाने से माना जा रहा था कि रूसी तेल कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि जनवरी-जून की अवधि में तेल की बिक्री में 5.7% की वृद्धि होने के कारण रोसनेफ्ट को प्रतिबंधों के बावजूद मुनाफा देखने को मिला. साथ ही वर्ष की शुरुआत की तुलना में कंपनी का कर्ज भी 12% तक कम हुआ है.
सस्ता तेल है बड़ी वजह
प्रतिबंध के बावजूद रूस ने सस्ते दामों पर अपने तेल को भारत और चीन जैसे बड़े देशों को देने की पेशकश की थी. साथ ही डॉलर की तेजी के बाद रूस ने इन देशों से राष्ट्रीय करेंसी में ही लेनदेन करने की सहूलियत दी थी जिससे कई देशों ने डॉलर दिए बिना तेल खरीद लिया. साथ ही इससे प्रतिबंधों का रूस पर खासा असर भी नहीं पड़ा. आपको बता दें कि रोसनेफ्ट ने पहली छमाही में एक साल पहले की अवधि से 1.5% की वृद्धि कर 4.85 मिलियन बैरल तेल प्रति दिन तक उत्पादन किया है.
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