नई दिल्ली (New Delhi) । दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) पर बुधवार को जानलेवा हमला (attack) हुआ. खुद रूस (Russia) ने दावा किया कि पुतिन को जान से मारने के लिए क्रेमलिन पर ड्रोन (drone) से हमले किए गए. इसके लिए रूस ने सीधे तौर पर यूक्रेन (ukraine) को जिम्मेदार ठहराया. लेकिन अब रूस के इन दावों पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. संशय जताया जा रहा है कि ये ड्रोन क्रेमलिन में इतने अंदर तक कैसे पहुंच गए? ये ड्रोन क्रेमलिन की उस इमारत के पास कैसे पहुंचे, जहां रूस के राष्ट्रपति पुतिन का स्पेशल अपार्टमेंट है?
आज से लगभग एक महीने पहले पुतिन ने एक बयान में कहा था कि वह जब भी क्रेमलिन में होते हैं, तो उनका ज्यादातर समय क्रेमलिन के इसी स्पेशल अपार्टमेंट में बीतता है. इत्तेफाक ऐसा है कि उनके इस बयान के एक महीने बाद ही क्रेमलिन पर यह हमला हुआ. ऐसे और भी कई सवाल हैं, जो रूस के दावों पर भौंहे तना देने को मजबूर करते हैं.
कैसे हुआ हमला?
रूस का कहना है कि क्रेमलिन पर दो फाइटर ड्रोन से अटैक किया गया था. इन दोनों ड्रोन का मकसद क्रेमलिन की उस इमारत को निशाना बनाना था, जहां राष्ट्रपति पुतिन रहते हैं. इसी परिसर में रूस की संसद भी है.
जानकारी के मुताबिक, रूस के रडार वारफेयर सिस्टम ने इन दोनों ड्रोन को उस समय टारगेट किया, जब ये क्रेमलिन परिसर के ठीक ऊपर पहुंच गए थे. इस दौरान इन दोनों ड्रोन पर स्ट्राइक की गई, जिससे ये क्रैश होकर रूसी पार्लियामेंट की इमारत पर क्रैश हो गए. सीनेट की इसी बिल्डिंग से पुतिन का ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस महज 300 मीटर की दूरी पर है.
हमले की 2 थ्योरी
इस पूरे मामले को लेकर दो थ्योरी सामने आई हैं. पहली ये कि यूक्रेन ने वाकई रूस के राष्ट्रपति पुतिन की हत्या करने की साजिश रची. इसके लिए दो फाइटर ड्रोन लॉन्च किए गए. इस हमले के पीछे रूस के पास ठोस वजह भी है कि रूस ने उसके 30 फीसदी क्षेत्रफल पर कब्जा किया हुआ है. रूस की वजह से यूक्रेन बीते 434 दिनों से युद्ध लड़ रहा है. इसलिए हो सकता है कि उसने पुतिन को मारने की साजिश रची हो ताकि वह इस युद्ध को जीत सके.
वहीं, दूसरी थ्योरी है कि ये हमला खुद रूस ने ही करवाया है ताकि इससे वह यूक्रेन और पश्चिमी देशों पर दबाव बना सके और एक तरह से खुलकर कार्रवाई कर सके. वह किसी भी तरह से यूक्रेन पर जीत दर्ज करना चाहता है.
हो सकता है कि रूस ने खुद ही क्रेमलिन पर हमला कराया हो ताकि दुनिया को यह बताया जा सके कि यूक्रेन पश्चिमी देशों के साथ मिलकर पुतिन की हत्या करना चाहता है. वह इस बात को आधार बनाकर यूक्रेन के खिलाफ बड़े पैमाने पर खुली कार्रवाई करना चाहता है. दरअसल अगर रूस, यूक्रेन पर कोई बड़ा हमला करता है तो यही कहा जाएगा कि यूक्रेन ने पुतिन की हत्या करने की साजिश रची थी और रूस ने एक तरह से बदला लिया है. इस तरह से ये हमला रूस के लिए एक बैकअप की तरह काम करेगा.
कैसे थे ये हमलावर फाइटर ड्रोन?
रूस ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि पुतिन की हत्या के लिए यूक्रेन ने इन दोनों ड्रोन को भेजा था. ये कोई मामूली ड्रोन नहीं बल्कि फाइटर ड्रोन थे.
दरअसल फाइटर ड्रोन उन ड्रोन्स को कहते हैं, जो खतरनाक मिसाइल या फिर दूसरे एक्सप्लोसिव डिवाइस से लैस होते हैं. इनमें ऐसे ब्लेड्स लगे होते हैं, जो टारगेट को आसानी से खत्म कर सकते हैं. हालांकि, हमले में इस्तेमाल हुए ड्रोन को लेकर अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है. रूस ने अभी तक सिर्फ यही बताया है कि जिन ड्रोन को नष्ट किया गया था. वे दोनों फाइटर ड्रोन थे.
कुछ समय पहले ही यूक्रेन की सीमा के पास काले सागर में अमेरिका का एक फाइटर ड्रोन क्रैश हुआ था. उस समय अमेरिका ने कहा था कि ये ड्रोन इसलिए क्रैश हुआ क्योंकि रूस के दो फाइटर जेट ने उसका पीछा करते हुए उसे टक्कर मार दी थी. इस घटना का एक वीडियो भी जारी हुआ था.
ड्रोन को लेकर उठते सवाल
लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि क्रेमलिन पर जिन ड्रोन से हमला किया गया था. वे ड्रोन आकार में काफी छोटे थे. इस तरह के ड्रोन का इस्तेाल किसी तय स्थान पर विस्फोटक या मिसाइल गिराने के लिए किया जाता है. हो सकता है कि इस हमले में भी ये ड्रोन ऐसा ही करने वाले हो. हालांकि, यहां कुछ सवाल भी उठते हैं.
पहला सवाल ये है कि अगर ये दोनों ड्रोन भारी विस्फोटक या मिसाइल से लैस थे तो फिर जब इन्हें हवा में नष्ट किया गया तो वहां कोई बड़ा ब्लास्ट क्यों नहीं हुआ? दरअसल ड्रोन ब्लास्ट की तस्वीरों को देखकर लगता है कि वहां जो ब्लास्ट हुआ, वो सिर्फ इन ड्रोन के नष्ट होने का था. लेकिन अगर इनमें भारी विस्फोटक होता या ये ड्रोन मिसाइल से लैस होते तो फिर ब्लास्ट इतना छोटा नहीं होता. बल्कि ये विशाल और खतरनाक होता कि क्रेमलिन परिसर में मौजूद आधी से ज्यादा इमारतें इसकी चपेट में आ जाती. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इससे यही लगता है कि ये ड्रोन किसी विस्फोटक या मिसाइल से लैस नहीं थे.
दूसरा सवाल ये है कि ये ड्रोन क्रेमलिन जैसी अतिसुरक्षित इमारत के ऊपर कैसे जा पहुंचे? अमेरिका के बाद पूरी दुनिया में सबसे अत्याधुनिक रडार सिस्टम रूस के पास है, जो अपनी सीमा में दाखिल होने वाली मक्खी की पहचान कर लेता है. तो फिर ऐसा कैसे हुआ कि दो ड्रोन मॉस्को की सबसे सुरक्षित जगह तक पहुंच गए और रूस के रडार सिस्टम को इसकी भनक तक नहीं लगी?
इन दोनों ड्रोन को क्रेमलिन के ठीक ऊपर पहुंच जाने पर नष्ट किया गया. इस वजह से सवाल ये भी उठता है कि आखिर इन ड्रोन को यहां पहुंचने कैसे दिया गया?
हमले के समय पुतिन क्रेमलिन में नहीं थे
रूस के सरकारी मीडिया का कहना है कि बीते 24 घंटे में सिर्फ एक ड्रोन हमला नहीं बल्कि 100 से ज्यादा ड्रोन अटैक हो चुके हैं. इन सभी ड्रोन को नष्ट भी किया जा चुका है. इसके अलावा रूस का ये भी कहना है कि जिस समय ये हमला हुआ, उस समय राष्ट्रपति पुतिन क्रेमलिन में नहीं थे. लेकिन इन दोनों ड्रोन का मकसद पुतिन की हत्या करना था.
इस हमले पर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के प्रेस सचिव ने बयान जारी कर कहा कि यूक्रेन का इस हमले से कोई लेना-देना नहीं है. हो सकता है कि ये एक नकली हमला हो, जिसकी साजिश खुद रूस ने रची हो. वहीं, रूस का कहना है कि ये हमला यूक्रेन ने कराया है और उसे पलटवार करने का पूरा अधिकार है. नाटो ने भी कहा है कि रूस इस हमले का बदला लेने के लिए समुद्र में उसकी तेल और गैस पाइपलाइन को निशाना बना सकता है.
बता दें कि क्रेमलिन में कुल 15 इमारतें और 20 टावर हैं. क्रेमलिन परिसर के चारों तरफ 21 फीट चौड़ी दीवार है. क्रेमलिन परिसर में ही रूस की संसद, पुतिन का आधिकारिक आवास, कार्यालय और कई महत्वपूर्ण इमारतें हैं. यहीं पर ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस हैं, जिनमें 700 से ज्यादा कमरे हैं. इनमें पुतिन का एक स्पेशल अपार्टमेंट भी हैं, जहां वह अपना ज्यादातर समय बिताते हैं.
मालूम हो कि इससे पहले 1942 में क्रेमलिन पर आखिरी बार हमला हुआ था. उस समय हिटलर के आदेश पर जर्मनी की सेना मॉस्को पहुंच गई थी और सैनिकों ने क्रेमलिन पर धावा बोल दिया था. इस हमले को रूस ने अपनी संप्रभुता पर हमला माना था.
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