लंदन। ब्रिटेन(UK) के वेल्स में हिंदुओं व सिखों (Hindus and Sikhs) को अपने प्रियजनों की अंत्येष्टि के बाद उनकी अस्थियां विसर्जन (bone immersion) करने के लिए एक नया स्थान मिल गया है। सालों से चलाए जा रहे अभियान के बाद टैफ नदी के किनारे अस्थि विसर्जन की इजाजत (Bone immersion allowed on the banks of river Taif)दी गई है।
दिसंबर 2016 में बनाया गया अंतिम संस्कार समूह, वेल्स (एएसजीडब्ल्यू) इसके लिए प्रयास कर रहा था। आखिरकार वेल्स की राजधानी कार्डिफ पिछले सप्ताह इसकी शुरुआत हो गई। एएसजीडब्ल्यू की अध्यक्ष विमला पटेल ने कहा कि कार्डिफ काउंसिल ने इस स्थल के निर्माण के लिए धन दिया और लैंडैफ रोइंग क्लब और साउथ वेल्स के हिंदू और सिख समुदायों के सदस्यों ने भी आर्थिक योगदान दिया। विमला पटेल ने कहा कि कई सालों की मेहनत के बाद हमें अस्थि विसर्जन का स्थान मिला है।
अस्थि विसर्जन के लिए एक स्थल की कमी का मुद्दा पहली बार 1999 में कार्डिफ काउंसिल के पार्षद जसवंत सिंह ने उठाया था। इसके बाद 2013 में एएसजीडब्ल्यू के चन्नी कलेर ने इसे गति दी। करीब 22 साल बाद अभियान को कामयाबी मिल गई है। विमला पटेल ने कहा कि वेल्स में हिंदुओं और सिखों की तीन से अधिक पीढ़ियां बसी हुई हैं। हमारे समुदाय की पहली पीढ़ी ने अंत्येष्टि के बाद अस्थियां व राख को अपनी मातृभूमि में वापस ले जाने शुरू किया, लेकिन बाद की पीढ़ियां, या तो यहां पैदा हुईं या जिन्होंने अपना अधिकांश जीवन यहां बिताया है, वे अपने प्रियजनों की अस्थियों व राख को पूरे सम्मान के साथ वेल्स में विसर्जित करना चाहते हैं। इस मौके पर कार्डिफ काउंसिल के प्रवक्ता ने कहा कि महामारी के कारण इस समस्या के समाधान में कुछ समय लगा, लेकिन अब हमारे पास एक स्थायी स्थान है, जिसका उपयोग सिख और हिंदू समुदाय की वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों द्वारा किया जाएगा। इसका इस्तेमाल ब्रिटेन के हिंदुओं और सिखों द्वारा किया जा सकेगा।