- पानीपत के कपड़े ने तोड़ा उज्जैन का मार्केट-प्रोडक्शन 80 प्रतिशत तक हुआ कम-कपड़े की माँग भी घटी
- करीब 22 साल पहले शहर में थे 6 हजार पावरलूम-अब बचे सिर्फ एक हजार-वे भी बंद होने की स्थिति में
उज्जैन। शहर में पावरलूम उद्योग अपनी अंतिम सांसें ले रहा है। एक समय था जब यहाँ की रजाई, चादर और बच्चों के फलालेन कपड़ों की डिमांड उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लखनऊ, कानपुर, पंजाब सहित देशभर में रहती थी जो अब न के बराबर बची हैं। केवल चुनिंदा जगहों पर ही उज्जैन से कपड़ा जा रहा हैं। इसका सीधा असर उज्जैन के पावरलूम उद्योग पर पड़ा है।
उल्लेखनीय यह है कि आज से करीब 22 साल पहले उज्जैन में 6 हजार पावरलूम हुआ करते थे लेकिन आज सिर्फ एक हजार ही बचे हैं। इसके पीछे के कई कारण हैं। मामले में पावरलूम एसोसिएशन के सदस्य सुशील खत्री ने बताया कि इन दिनों उज्जैन में पावरलूम उद्योग अपनी अंतिम सांसें ले रहा है। एक समय था जब उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में उज्जैन के कपड़े की डिमांड रहा करती थी लेकिन अब इन शहरों में पानीपत से तैयार कपड़े की डिमांड है और पानीपत के कपड़े ने देश की अधिकांश कपड़ा मंडियों में अपने पैर पसार लिए हैं। ऐसे में उज्जैन के कपड़े की माँग घटती जा रही हैं। उन्होंने बताया कि पहले जो पावर लूम 24 घंटे चलती थी और दिन रात लूमों पर कपड़ा तैयार होता था। वह आज 8 घंटे तो कई लूम 12 घंटे ही चलाई जा रही है। उज्जैन में दो हजार परिवारों के लिए यह उद्योग प्रत्यक्ष रूप से रोजी-रोटी का महत्वपूर्ण जरिया है लेकिन अब उनके ऊपर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यहीं कारण है कि सैकड़ों पावरलूम चलाने वाले कर्मचारियों ने तो अपनी रोजी रोटी का जरिया ही बदल लिया हैं।
पावरलूम हब का सपना इसलिए भी अधूरा
कई बार केन्द्र और प्रदेश सरकार ने लघु व सूक्ष्म उद्योगों को प्रोत्साहित कर रोजगार के नए अवसर देने के लिए घोषणाएँ की लेकिन शहर में आज तक पावरलूम उद्योग के न तो नए क्लस्टर स्थापित किए गए और ना ही पुरानी पावरलूमों को अपग्रेड किया गया। ऐसे में उज्जैन को पावरलूम हब बनाने के सपना आज भी अधूरा हैं। हैरानी की बात यह है कि शहर के जनप्रतिनिधि भी इस उद्योग को बचाने के लिए कभी आगे नहीं आए। एक कारण यह भी हैं कि उज्जैन का पावरलूम उद्योग धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार की ओर बढ़ता जा रहा हैं।
वर्तमान में पावरलूम उद्योग एक नजर में
- पावरलूम फैक्ट्रियाँ : 40 (अपग्रेड)
- पावरलूम लूम : 960
- पावरलूम मजदूर : 2 हजार
(प्रत्यक्ष एवं परोक्ष)