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    उज्जैन का मावा कारोबार खत्म होने की कगार पर

  • August 06, 2023

    • 10 साल पहले उज्जैन के मावे की डिमांड महाराष्ट्र और गुजरात तक थी, आज लोकल में रह गई सीमित
    • साल 2000 में 13 मावा व्यापारी थे शहर में, अब केवल 7 ही बचे हैं, वे भी व्यापार बदलने की सोच रहे

    उज्जैन। एक समय था जब उज्जैन का मावा महाराष्ट्र और गुजरात तक भेजा जाता था, लेकिन आज इसकी सप्लाई केवल लोकल तक ही सीमित रह गई हैं। इसके पीछे का प्रमुख कारण मावा उत्पादन में दूध और लेबर की कमी होना हैं। ऐसे में अब उज्जैन का मावा करोबार खत्म होने की कगार पर पहुँच चुका है। हालात यह है कि साल 2000 में शहर में 13 से ज्यादा मावा व्यापारी थे, अब केवल 7 ही बचे हैं और वे भी व्यापार बदलने की सोच रहे हैं। ढाबा रोड स्थित लादूराम रामनिवास मावा दुकान के संचालक श्यामसुंदर बैवाल बताते हैं कि 102 साल पहले मेरे पिताजी ने उज्जैन में मावे का व्यापार शुरू किया था। जब उज्जैन का मावा इंदौर तक जाता था। उसके बाद आसपास के गाँव के किसान मावा यहीं पर आकर बेचने लगे और यहाँ से महाराष्ट्र, गुजरात में अच्छी मांग होने से यहाँ का व्यापार तथा व्यापारी और बढ़ते गए।


    उस समय उज्जैन का मावा क्वालिटी और रेट में भी बहुत सस्ता हुआ करता था जिससे इसकी माँग भी ज्यादा थी। उस समय मावा बनाने के लिए किसानों को एडवांस में पैसा दिया जाता था, लेकिन अब न तो लेबर मिल रही है और ना ही दूध देने वाले किसान। आधे से ज्यादा किसानों ने तो अपने यहाँ का दूध बड़ी दूध कंपनियों को देना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि मावा व्यापार अब लोकल तक ही सीमित रह गया है। अब तो वह भी खत्म होने की कगार पर हैं। मावा कारोबार से जुड़े जानकारों की माने तो उज्जैन के मावा व्यापार में तकनीकी के साथ-साथ इसे पैकिंग में लाना होगा जो अधिक समय टिक सके तथा देश भर में भेजा जाए तो खराब नहीं हो तथा इसका स्वाद व ताजगी बनी रहे। यदि इन सब चीजों को ध्यान में रखकर स्वयं योजनाएँ बनाई जाए तो शायद उज्जैन का नाम देश विदेश में पहचाना जा सके, क्योंकि यहाँ के मावे में जो मिठास है वह दूसरी जगह में नहीं है।

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