उज्जैन। सिंहस्थ 2028 के लिए तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। राज्य पुरातत्व विभाग पाँच विरासत स्थलों का जीर्णोद्धार कर उन्हें पर्यटकों के लिए सुसज्जित कर रहा है। इन स्थलों में वीर दुर्गादास की छत्री और राम जनार्दन मंदिर प्रमुख हैं। परियोजना की कुल लागत लगभग 10 करोड़ रुपये है।
सिंहस्थ की तैयारी मध्य प्रदेश में तेज हो गई है। उज्जैन में आयोजित होने वाला सिंहस्थ एक भव्य धार्मिक समागम है। इस आयोजन के लिए शहर में और उसके आसपास के पाँच विरासत स्थलों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है ताकि उन्हें पर्यटकों के लिए तैयार किया जा सके। राज्य पुरातत्व विभाग उज्जैन में चयनित स्मारकों और संग्रहालयों में संरक्षण, जीर्णोद्धार और आवश्यक सुविधाओं को जोडऩे का कार्य करेगा। विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि महत्वपूर्ण आध्यात्मिक समागम से पहले पर्यटकों का स्वागत करने के लिए शहर अच्छी तरह से तैयार रहे। पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए चिन्हित स्थलों में वीर दुर्गादास की राजसी छत्री, राम जनार्दन मंदिर, श्री चौबीस खंबा माता मंदिर, प्राचीन चामुंडा माता मंदिर गजनीखेड़ी और विष्णु चतुष्टिका शामिल हैं। पर्यटन और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि एमपी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का खजाना है, जो कई प्राचीन स्मारकों से सुसज्जित है। हमने इन अमूल्य रत्नों को पुनस्र्थापित और संरक्षित करने का काम शुरू किया है। सिंहस्थ से पहले, हमने विशिष्ट विरासत स्थलों का चयन किया है जिन्हें पर्यटकों के लाभ के लिए विकसित किया जाएगा। मप्र में पुरातत्व आयुक्त उर्मिला शुक्ला ने कहा, हमारा उद्देश्य राज्य-संरक्षित पुरातात्विक स्थलों को आवश्यक सुविधाओं को शामिल करके और उन्हें आगंतुकों के सामने प्रदर्शित करके पर्यटक-अनुकूल स्थलों में बदलना है। पुनस्र्थापना और संरक्षण परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 10 करोड़ रुपये है। बुनियादी सुविधाओं में शौचालय, पीने के पानी की सुविधा, बेंच, कुशल जल निकासी प्रणाली और अन्य आवश्यक सुविधाएँ शामिल हैं।
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