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    उज्जैन के बच्चे हुए मोबाईल के लती

  • September 21, 2024

    • आयुष विभाग के डॉक्टरों की टीम ऐसे बच्चों का मानसिक इलाज करेंगे जो सुबह से रात तक मोबाइल नहीं छोड़ते
    • उज्जैन, शाजापुर से होगी शुरुआत-आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व ग्राम सहायिकाएँ घर-घर जाकर बच्चों को चिन्हित करेंगी

    उज्जैन। आज के समय में ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों की कई आदतों से परेशान रहते हैं। जिसमें खाना-पानी, नींद और पढ़ाई जैसी कई बाते हैं लेकिन वर्तमान समय में इन सबसे अलग बच्चों की मोबाइल की लत से ज्यादा परेशान हैं लेकिन मध्य प्रदेश सरकार बच्चों की इसी लत को छुड़ाने की जिम्मेदारी लेने जा रही है जिसकी शुरुआत उज्जैन और शाजापुर से हो रही है।


    यदि आपका बच्चा दिनभर मोबाइल चलाता है, उसकी इस लत से आप परेशान हो रहे हैं और इससे बच्चे पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है तो ऐसे में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी सरकार उठाने वाली है। इसके लिए आयुष विभाग को योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस योजना में बच्चों को होने वाला पढ़ाई का तनाव और उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की मानीटरिंग व उपचार भी किया जाएगा। बच्चों में पढ़ाई का बोझ, चिड़चिड़ापन और मोबाइल की लत समेत अन्य मानसिक और शारीरिक बीमारियों को दूर करने के लिए एमपी के आयुष विभाग ने एक योजना बनाई है। इस योजना को सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी हरी झंडी दे दी है। अब इसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत उज्जैन और शाजापुर जिले में शुरू किया गया है। इन दो जिलों में सकारात्मक परिणाम आने के बाद इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। पिछले दो वर्ष में करीब ढाई सौ ऐसे बच्चों का उपचार किया गया है, जिनमें मोबाइल की लत के कारण मानसिक विकार से लेकर आंख संबंधी बीमारियाँ थी अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं। इसके लिए यह नई व्यवस्था लाई जा रही है। आयुष विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस योजना पर काम करने के लिए शासन से अनुमति मिल गई है। अब इसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं, आशा-उषा कार्यकर्ताओं की मदद भी ली जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएँ लोगों के घरों तक आसान पहुँच रखती हैं, उन्हें अपने क्षेत्र के हर घर-परिवार की जानकारी होती है। ऐसे में वो आसानी से ऐसे बच्चों को चिन्हित कर सकती हैं, जिसे इलाज की जरूरत है। ये कार्यकर्ता बच्चों को ईलाज के लिए पास के होम्योपैथी चिकित्सालयों तक पहुँचाएँगी और उनके स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग करेंगी। शासकीय होम्योपैथी कॉलेज भोपाल के प्राचार्य डॉ. एस.के. मिश्रा ने बताया कि इस समय बच्चों में मानसिक समस्याएँ ज्यादा बढ़ रही हैं। पढ़ाई का अधिक बोझ, मोबाइल की लत सहित अन्य परेशानियों को लेकर यह स्थिति बन रही है, एक सर्वे के अनुसार कम उम्र में ही बच्चों के दांत खराब हो रहे हैं, सभी पहलुओं का परीक्षण करने के बाद निर्णय लिया है कि ऐसे लक्षणों के चलते बच्चों का होम्योपैथी चिकित्सा के जरिए समुचित उपचार किया जाए। डॉ. एसके मिश्रा ने बताया कि बच्चों में मानसिक विकारों के साथ आँख एवं दाँतों की बीमारियाँ भी हो रही हैं, इसलिए पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत उज्जैन और शाजापुर जिले में समुचित उपचार की यूनिट तैयार कर रहे हैं, यहाँ सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद प्रदेश भर में लागू किया जाएगा।

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