उज्जैन। दीपावली का पर्व कल सोमवार को मनाया जाएगा। दीपावली की रात खूब पटाखे फूटेंगे और आतिशबाजी होगी। लेकिन इससे पहले आज सुबह उज्जैन शहरी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता का सूचकांक 138 एक्यूआई तक पहुंच गया, जो इस बात का सूचक है कि दीपावली के एक दिन पहले ही शहर की हवा में प्रदूषण बढ़ गया है। डब्ल्यूएचओ की गाईड लाईन के मुताबिक 50 से कम एक्यूआई को स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है और इससे अधिक हानिकारक होता है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष कोरोना के कारण दीपावली पर्व पर सुप्रीम कोर्ट ने आतिशबाजी को लेकर गाईड लाईन जारी की थी। बावजूद इसके दीपावली पर पिछले साल लोगों ने फटाखे फोड़े थे और वायु का प्रदूषण सूचकांक 50 एक्यूआई से बढ़कर 178 तक पहुंच गया था। इधर एक सप्ताह तक उज्जैन शहर की आबोहवा में प्रदूषण का स्तर 100 एक्यूआई के आसपास दर्ज हो रहा था, लेकिन आज सुबह कोयला फाटक चौराहा आगर रोड और चामुंडा माता चौराहे पर लगे प्रदूषण का स्तर बताने वाले मापक यंत्रों पर आज सुबह 8 बजे के दरमियान शहर की वायु गुणवत्ता का सूचकांक 138 एक्यूआई बता रहा था। उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाईड लाईन के अनुसार सूचकांक का लेबल 50 से कम हो तो इसे स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। इससे अधिक होने पर हानिकारक और 200 से अधिक होने पर खतरनाक माना जाता है। कुल मिलाकर दीपावली के एक दिन पहले ही शहर की हवा में प्रदूषण बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि उज्जैन में ओजोन गैस का स्तर 60 और धूल के कणों का स्तर 100 तक होना चाहिए।
फटाखों से ज्यादा अन्य कारणों से प्रदूषण
शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण के पीछे दीपावली वाले दिन एक दिन की आतिशबाजी कोई बड़ा कारण नहीं है। मुख्य बड़ा कारण तीन साल से चल रहे सीवेज लाईन बिछाने का कार्य है। इसके कारण सड़के खुदी हुई है। बारिश में खराब हुई सड़कों का भी पेंचवर्क नहीं होने से दिन-रात धूल के गुबार उठ रहे हैं। उज्जैन की हवा खराब करने में इन दो कारणों का 80 फीसदी से ज्यादा योगदान है।
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