- केडीगेट इमली तिराहे का चौड़ीकरण यहाँ के हजारों लोगों पर कहर बनकर टूटेगा-बारिश की त्रासदी भोगेंगे रहवासी
(शैलेन्द्र कुल्मी)
पुराने उज्जैन शहर में इन दिनों नगर निगम ने नयापुरा, केडी गेट चौराहा, इमली तिराहा, भेरूनाला क्षेत्र को खंडहर बनाने का काम शुरू किया है तथा चारों तरफ मलबा बिखरा दिखाई दे रहा है..कल तक जिस घर में प्रेम पूर्वक मध्यम वर्ग के लोग रहते थे आज अपने हाथों से उन्हें तोड़ रहे हैं और मिट्टी धूल के अलावा कुछ भी नहीं है। हालात यह है कि कई घंटों तक लाइट भी नहीं आ रही है और बच्चे महिलाएँ परेशान हो रहे हैं।
नगर निगम ने जब तुड़ाई शुरू की थी तो दावा किया था कि हाथोंहाथ मलबा उठाएंगे लेकिन आज 4 दिन बाद भी टूटे हुए मकानों का मलबा सड़क पर पड़ा हुआ है और धूल उड़ रही है। कई लोग इस धूल और मिट्टी के प्रदूषण से बीमार हो रहे हैं, नगर निगम ने तो इतने लंबे मार्ग का चौड़ीकरण शुरू कर दिया और जनता की तकलीफ नहीं देखी लेकिन भुगतेगी जनता और इसके परिणाम घातक होंगे..शहर के लोगों को याद होगा कि आगर रोड जब चौड़ा हुआ था तो 90 से अधिक आम नागरिकों की मौतें हुई थी तथा यह मौतें कार्य में लापरवाही, गड्ढों की चपेट में आने तथा दुर्घटनाओं के कारण हुई थी..इसी प्रकार केडी गेट से इमली तिराहे का जो मनमाना कार्य शुरू किया गया है इसके परिणाम भी अच्छे नहीं आने वाले हैं। कहा जाता है कि चौड़ीकरण से विकास होगा लेकिन यह मात्र बेवकूफी भरा जुमला है, क्योंकि लंदन जैसे शहरों में अंग्रेजों ने अपने पुराने शहर को नहीं बदला और आधुनिकता के लिए दूसरे रास्ते खोजे आज भी ब्रिटेन के लंदन शहर में तीस फुट की सड़कें है और वहाँ सुख से लोग रह रहे हैं और हमारे यहाँ नगर निगम आए दिन मकानों को तोडऩा शुरू कर देती है, कमरी मार्ग, अंकपात मार्ग, देवास गेट से महाकाल मार्ग का चौड़ीकरण हुआ तो यहाँ के लोगों ने भुगता और आज तक यहाँ के लोग उस पीड़ा को और दुख को नहीं झेल पाए हैं।
चौड़ीकरण का कार्य शुरू करने के साथ ही यह चाहिए था कि हाथोंहाथ मलबा हटाना था और एक-दो महीने में सारी सुविधाएँ बहाल करना थी लेकिन देखना कि अगले कई महीनों तक लोग परेशान होते रहेंगे और घर के बच्चे, बुजुर्ग जीवन से लड़ते रहेंगे..कई लोग इस सदमें में या तो बीमार होंगे या गंभीर परिणाम उन्हें भुगतना होंगे..इस दौरान जो निरीह लोग की जानमाल का नुकसान होगा उसका जिम्मेदार कौन होगा..क्या नगर निगम यह जिम्मेदारी उठाएगा कि अगले 3 महीने बाद यदि चौड़ीकरण नहीं हो पाया तो वह भरपाई करेगा लेकिन हमारे यहाँ तो नेता चुनाव जीतने के बाद जिम्मेदारी कहाँ लेते हैं, यही कारण है कि मलाई चखने के लिए चुनाव लडऩे वालों की भीड़ लगी रहती है और जनता भी ऐसे लोगों को वोट देकर जितवा लाती है..कल शाम भी बारिश हुई उसने मलबे को कीचड़ में बदल दिया तथा यहाँ आना जाना मुश्किल हो गया है..इसके अलावा तोडफ़ोड़ के बाद पूरे मार्ग पर किसी तबाही के नजारे दिखाई दे रहे हैं..क्या प्रतिदिन शाम को कलेक्टर कमिश्नर एवं अन्य अधिकारी यहाँ का दौरा करेंगे और लोगों से पूछेंगे कि उन्हें क्या तकलीफ है लेकिन शायद नहीं..हर चौड़ीकरण के बाद कोई वहाँ झाँकने नहीं जाएगा और जनता परेशान होती रहेगी। ऐसे में सिवा आँसू बहाने के और कुछ नहीं रह जाता क्योंकि हमारे जिम्मेदार नेता बेवकूफ हैं और अपात्र है, उन्होंने यह भी नहीं देखा कि अगले दिनों में बारिश शुरू हो जाएगी और ऐसे में जिनके मकान टूटे हैं वे कहाँ रहेंगे और कितनी अव्यवस्था फैलेगी..यह चौड़ीकरण बारिश के बाद भी हो सकता था। अब इन झप्पी बाज नेताओं को कौन समझाए इन्हें कोई सही बात बोलो तो बुरा लगता है..चुनाव जीतने के बाद तो यह निरंकुश हो जाते हैं और पाँच साल बाद केवल चुनाव के समय ही मिमियाते हैं..नया पुरा क्षेत्र के रहवासियों का दर्द समझा जा सकता है लेकिन केवल दुख व्यक्त करने के अलावा कुछ नहीं हो सकता है..हमारे हाथ में कुछ नहीं बचा, डेमोक्रेसी में जनता की मुफलिसी नंगी आँखों से देखना हो तो उज्जैन आओ, महाकाल तो देख ही रहे हैं तुम भी देखो..सुकून मिलता है यह लिखने से..आज के समय में भ्रष्टाचार की नदी में नहाने के बाद जिसकी भी छवि स्वच्छ है वही तो मगरमच्छ है..ठीक तरह से शहर के टायलेट नहीं बना पाने वाली निगम मलबे के पीछे विकास देख रही है..