उज्जैन। दुष्कर्म पीडि़ता ने पहली बार अपने साथ हुई घटना का दर्द बयां किया है। पीडि़ता की सांकेतिक भाषा को समझ कर विशेषज्ञों के भी रोंगटे खड़े हो गए हैं। तीन दिनों तक चली काउंसलिंग के दौरान पीडि़ता के संकेत, बोलने, हाव-भाव के माध्यम से बयान को दर्ज किया गया। पीडि़ता ने आरोपी की पहचान उसके फोटो के माध्यम से की है।
मानसिक रूप से कमजोर नाबालिग लड़की 25 सितंबर को रात में करीब तीन बजे उज्जैन रेलवे स्टेशन क्षेत्र में भटक रही थी। उस दौरान आरोपी आटो चालक भरत सोनी उसे आटो में बैठाकर ले गया और बडऩगर रोड पर जीवनखेड़ी क्षेत्र में ले जाकर दरिंदगी की थी। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। उज्जैन न्यायालय में बयान दर्ज होने से पहले इंदौर में काउंसलिंग विशेषज्ञों से पीडि़ता की बात हुई उज्जैन दुष्कर्म पीडि़ता ने पहली बार काउंसलिंग के दौरान इंदौर के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित से यह दर्द बयां किया और कहा कि आरोपी मुझे खेत पर ले गया और गला दबाया, फिर दांतों से काटा व गलत काम किया। मुझे दर्द हो रहा था और मैं पापा को आवाज लग रही थी। विशेषज्ञों ने बताया कि स्लो लर्निंग डिसेबिलिटी होने से पीडि़ता अभी तक अपनी बात किसी को ठीक से समझा नहीं पा रही थी।
विशेषज्ञों ने उसकी बात समझी और संवर्धित व वैकल्पिक संचार विधि से उसके बयान लिए गए। पीडि़ता से बात करने वाले विशेषज्ञों बताया कि दरिंदगी के बाद वह अपराधी से इस कदर नफरत करती है कि वह उसे पत्थरों से मारने की बात कह रही है। पीडि़ता ने बताया कि अनजान रास्ते पर भटक रही थी। आसपास से गुजरने वाले कई वाहन रुके और निकल गए। तभी एक आटो आया, उसके ड्राइवर ने बैठा लिया। दुष्कर्म के बाद आरोपी खेत पर छोड़कर चला गया। जितनी पीड़ा उसे घटना के दौरान हुई, उतनी ही आठ किमी पैदल चलने पर भी हुई। पीडि़ता ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी। ऐसे में लोग उसकी बातों को समझ भी नहीं पा रहे थे। तीन दिनों तक चली काउंसलिंग के दौरान पीडि़ता के संकेत, बोलने, हाव-भाव के माध्यम से बयान को दर्ज किया गया। वह वाक्य एक साथ नहीं बोल पाती है। एक शब्द ही कह पाती है। गुस्सा झलक रहा था पीडि़ता ने आरोपी की पहचान उसके फोटो के माध्यम से की। उसे अभी तक ठीक से हिंदी भी पढऩा नहीं आती है। वह अपना नाम भी नहीं लिख सकती है। उसने विशेषज्ञों को जो भी बताया कि हर एक शब्द में गुस्सा झलक रहा था। इंदौर के आनंद सर्विस सोसाइटी के ज्ञानेंद्र और मोनिका की सहायता से अब तक 400 से अधिक मूक-बधिर और दिव्यांग पीडि़तों के बयान लिए जा चुके हैं। ऐसे कई मामलों में आरोपियों की पहचान कर उन्हें सजा भी दिलवाई गई है। संवर्धित और वैकल्पिक संचार विधि में बोली जाने वाली या लिखित भाषा के उत्पादन या समझ में कमी वाले लोगों के लिए बोलचाल को प्रतिस्थापित करने के लिए उपयोग की जाने वाली संचार विधियां शामिल हैं। इसका उपयोग उन लोगों द्वारा किया जाता है, जिनके पास बोलने और भाषा संबंधी कई प्रकार की अक्षमताएं हैं।
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