उज्जैन। पिछले 10 वर्षों में उज्जैन शहर तथा ग्रामीण क्षेत्र से जो गुमशुदगी दर्ज हुई उसमें 123 बच्चों एवं किशोरों का पता नहीं चला और उनको ढूँढना भी पुलिस ने बंद कर दिया है। पुलिस ने गायब होने के बाद ये मामले दर्ज किये थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले 10 वर्षों में गुमशुदगी के सैकड़ों मामले दर्ज हुए और कई में युवक-युवती वापस मिल गये लेकिन अभी भी पुलिस रिकॉर्ड में 90 लड़कियाँ तथा 33 लड़के हैं जिनका कोई पता नहीं चला और पुलिस ने उनकी खोजबीन कराई गई जो 10 सालों में जब नहीं ढूंढ पाई तो इन मामलों का एक तरह से खात्मा कर दिया गया है। यह बच्चे कहाँ गये इसका जवाब न तो पुलिस के पास है और न ही उनके परिजनों के पास। बताया जाता है कि यह सभी लड़के-लड़कियाँ घर से बिना बताए गए थे तथा अधिकांश की उम्र किशोरावस्था की है।
घर से जाने के बाद पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज की और कई सालों तक इनकी तलाश की लेकिन कुछ पता नहीं चला। इसके बाद पुलिस ने इन्हें ढूँढना बंद कर दिया। इस प्रकार पुलिस रिकॉर्ड में पिछले 10 वर्षों की बात की जाए तो गुमशुदगी के ऐसे मामले हैं जिनमें बरामदगी नहीं हुई और न ही गायब हुए बच्चों तथा किशोरों का पता चला। यह भी चौंकाने वाली बात है कि जिनका पता नहीं चला उनमें बड़ी संख्या लड़कियों की हैं जबकि लड़कों की संख्या आधी से भी कम है, ऐसे में यह भी प्रश्न उठता है कि क्या इन लड़कियों को किसी बाहर देश भेज दिया गया या फिर इनका अपहरण किया गया। एक तरह से पूरा रहस्यमय मामला है लेकिन पुलिस का कहना है कि हमारे द्वारा पूरी पड़ताल की गई और जब कोई पता नहीं चला था, इतने अधिक वर्ष होने के बाद अब खोजबीन बंद कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि बच्चा चोरी की घटनाएँ समय समय पर होती रहती है और यह भी खबरें आती रहती है कि लड़कियों को चुराकर बाहर के देशों में भेजकर उनसे गलत काम कराए जाते हैं। ऐसे में परिवारों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की विशेष सुरक्षा पर ध्यान दें। पुलिस द्वारा तो इसके लिए समय समय पर एडवाइजरी जारी कर चेतावनी दी जाती है।
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