उज्जैन। कोरोना की चौथी लहर का खतरा मँडराने लगा है। हालाँकि जिले की करीब 97 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं, लेकिन अभी भी बूस्टर डोज 25 प्रतिशत से कम आबादी ने लगवाय है। 75 प्रतिशत से अधिक लोग अभी भी बूस्टर डोज से वंचित हैं। राहत की बात यह है कि अभी जिला कोरोना मुक्त चल रहा है। उज्जैन में यह लापरवाही कहीं भारी न पड़ जाए और इसके लिए सतर्कता जरूरी है तथा लोगों को बूस्टर डोज लगवाना चाहिए नहीं तो चीन में फैला कोरोना कब यहाँ फैल जाए कह नहीं सकते।
कोरोना की पहली तथा दूसरी लहर के बाद जिले में वैक्सीनेशन का अभियान तेजी से चला था। इसका असर यह रहा कि तीसरी लहर में कोरोना मरीज तो मिले लेकिन इनमें से 98 प्रतिशत मरीज घर पर ही ठीक होते रहे। यही कारण है कि कोरोना की पहली लहर से लेकर तीसरी लहर तक कुल 24 हजार 573 पॉजीटिव केस मिले हैं। जबकि शुरूआत से लेकर अब तक 7 लाख 51 हजार 76 लोगों का कोरोना टेस्ट हो चुका है। इनमें से 24 हजार 395 लोग उपचार के बाद ठीक हो चुके हैं। कोरोना की अब तक की लहरों में जिले में 178 मौतें हुईं है। पिछले ढाई साल में उज्जैन में कोरोना से मरने वाले मरीजों की औसत मृत्यु दर 0.72 प्रतिशत रही है। वहीं अब चीन में पाए गए नए वेरिएंट बीएफ-7 से संक्रमित गुजरात वडोदरा की एक महिला जीनोम सीक्वेंसिंग जाँच में पॉजीटिव पाई गई थी।
इसके इसके बाद गुजरात में 3 नए केस और मिले हैं। महाकाल दर्शन के लिए भी बड़ी संख्या में लोग उज्जैन आ रहे हैं। ऐसे में लापरवाही यहाँ खतरनाक हो सकती है। जिला टीकाकरण कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक वैक्सीनेशन कार्यक्रम के तहत उज्जैन जिले में अब तक 18 या इससे अधिक उम्र के 14 लाख 65 हजार 178 लोगों ने दोनों डोज लगवा लिए हैं। जबकि 15 से 17 साल के 72 हजार 263 बच्चों ने दोनों डोज लगवाए हैं। इसी तरह 12 से 14 वर्ष के 30 हजार 993 बच्चों को दोनों डोज लग चुके हैं। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. के.सी. परमार ने बताया कि बूस्टर डोज अभी तक 3 लाख 43 हजार 718 नागरिकों ने लगवाया है। ऐसे में 75 प्रतिशत से अधिक आबादी अभी भी बूस्टर डोज से वंचित है। इधर राहत की बात यह है कि उज्जैन जिला अभी कोरोना मुक्त चल रहा है, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि सभी को मास्क लगाना चाहिए।
अब हर पाजिटिव मरीज का होगा जीनोम टेस्ट
उज्जैन। शहर सहित प्रदेश में अब हर नए कोविड पॉजिटिव व्यक्ति के सैंपल का जीनोम टेस्ट कराया जाएगा। टेस्ट के लिए सैंपल भोपाल के एम्स और ग्वालियर स्थित रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला (डीआरडीओ) भेजे जाएंगे। राज्य सरकार ने यह फैसला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से देशभर में कोविड के संक्रमण का अलर्ट जारी होने के बाद लिया है। इसकी पुष्टि स्वास्थ्य संचालनालय के एक सीनियर अफसर ने की है।स्वास्थ्य संचालनालय के अफसरों ने बताया कि चीन में कोविड का संक्रमण जिस वैरिएंट बीएफ.7 के कारण बढ़ा है। उस वैरिएंट का एक भी केस अब तक मध्यप्रदेश में नहीं है। मप्र में इसके संक्रमण को बढऩे से पहले नियंत्रित करने के लिए कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सैंपल्स की शत-प्रतिशत जीनोम सीक्वेंसिंग कराई जाएगी। जीनोम टेस्ट की रिपोर्ट आने तक कोविड संक्रमित मरीज को आइसोलेशन में रहना होगा। ताकि संबंधित संक्रमित मरीज से स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित न हो। कोविड प्रभारी डॉ. एच.पी. सोनानिया ने बताया कि कोविड के नए वैरिएंट के संक्रमण से बचने के लिए बुजुर्ग और बच्चे (12 साल से कम उम्र के) सतर्क रहना पड़ेगा। दोनों श्रेणी के लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें। उन्होंने बताया कि बच्चों को अब तक कोरोना की कोई भी वैक्सीन नहीं लगी है। न ही इस उम्र में समूह के बच्चों का कोविड एक्सपोजर हुआ है। वहीं बुजुर्गों को कोविड वैक्सीन का बूस्टर डोज भी लग चुका है, लेकिन उनकी इम्यूनिटी युवाओं की तुलना में कमजोर है। इस कारण बच्चे और बुजुर्ग कोविड गाइडलाइन का पालन करें।
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