उज्जैन। पिछले 24 सालों में जिले के वन क्षेत्र में मात्र 67 हेक्टेयर जमीन का इजाफा हो पाया है। इसके विपरित शहरी क्षेत्र का दायरा बढ़ा है। जिले का कुल क्षेत्रफल 6 हजार 91 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से उज्जैन शहर 92.68 वर्ग किलोमीटर तक फैल गया है। इसके मुकाबले वन क्षेत्र के लिए सिर्फ 42 वर्ग किलोमीटर की जमीन ही बची है।
तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण पूरे प्रदेश में जंगलों का दायरा सिमटता जा रहा है। लेकिन जिले में स्थिति इससे भी ज्यादा चिंताजनक है। वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले करीब 3 दशक से जिस तरह जिले में शहरीकरण बढ़ा है उसके मुकाबले वन क्षेत्र की जमीन में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। यही कारण है कि उज्जैन जिले के कुल क्षेत्रफल 6 हजार 91 वर्ग किलोमीटर में से वन विभाग के पास जंगल के लिए जमीन का दायरा 42 वर्ग किलोमीटर का ही है। इसके विपरित उज्जैन शहर की ही बात की जाए तो यहाँ भी अब तेजी से शहरी क्षेत्र का फैलाव हो रहा है।
पिछले एक दशक में तेजी से नई कॉलोनियाँ विकसित होती जा रही है, इसके चलते अब अकेले उज्जैन शहर का फैलाव ही 92.68 वर्ग किलोमीटर तक हो गया है। इसके मुकाबले पूरे जिले में वनों के लिए जमीन का दायरा मात्र 42 वर्ग किलोमीटर का है जो आधे से भी कम है। पूरे जिले के क्षेत्रफल और वनों के लिए आरक्षित इस जमीन का आंकलन किया जाए तो यह कुल क्षेत्रफल का एक प्रतिशत भी नहीं हैं। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले 24 सालों में उज्जैन जिले में विभाग की माँग पर शासन से दो बार ही जमीन मिली है। इसमें साल 2003-04 में सिंहस्थ के पूर्व त्रिवेणी के पास 2 हेक्टेयर जमीन शासन द्वारा वन विभाग को हस्तांतरित की गई थी। इसके लगभग 12 साल बाद वर्ष 2016 में खाचरौद तहसील के दिवेल गाँव में चंबल नदी के किनारे विभाग को 65 हेक्टेयर जमीन सौंपी गई थी। कुल मिलाकर पिछले 25 सालों में वन विभाग को वनों के लिए सिर्फ 67 हेक्टेयर जमीन ही मिल पाई है। इसे मिलाकर पूरे जिले में वन क्षेत्र का दायरा 42 वर्ग किलोमीटर का हो पाया है।
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