नई दिल्ली: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के जरिए करवाई जाने वाली यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द कर दिया गया है. इसे लेकर काफी ज्यादा विवाद खड़ा हुआ है. शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि उन्हें गृह मंत्रालय के जरिए एग्जाम में गड़बड़ी की जानकारी मिली थी, जिसके बाद पेपर रद्द किया गया. वहीं, इस मामले की जांच कर रही सीबीआई के हाथ बड़ी जानकारी लगी है. सीबीआई ने अपनी जांच के बाद कहा है कि यूजीसी-नेट का पेपर लीक हुआ था. एग्जाम से पहले पेपर को डार्कनेट पर अपलोड किया गया था.
सरकार ने पेपर रद्द करने के बाद इसकी जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी है. सीबीआई ने जांच के दौरान ये पता लगा रही है कि यूजीसी नेट एग्जाम का पेपर कहां से लीक हुआ. शुरुआती जांच में पता चला है कि क्वेश्चन पेपर सोमवार (17 जून) को लीक हुआ था, जिसके बाद उसे एंक्रिप्टेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाला गया था. पकड़े जाने से बचने के लिए आरोपियों ने लीक क्वेश्चन पेपर को डार्कनेट पर डाला था. सीबीआई केस से जुड़ी डिटेल्स इकट्ठा करने के लिए एनटीए और अन्य एजेंसियों के संपर्क में है.
दरअसल, शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए द्वारा आयोजित यूजीसी-नेट एग्जाम को बुधवार (19 जून) को रद्द करने का आदेश दिया. मामले की जांच तुरंत सीबीआई को सौंप दी गई. मंत्रालय को जानकारी मिली थी कि एग्जाम की शुचिता से समझौता किया गया है, जिसके बाद आनन-आनन फानन में इसे रद्द किया गया. यहां गौर करने वाली बात ये है कि एक दिन पहले यानी मंगलवार (18 जून) को ही छात्रों ने एग्जाम दिया था. पेन और पेपर मोड में आयोजित इस एग्जाम में 9 लाख छात्रों ने हिस्सा लिया था.
वहीं, शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार (20 जून) को कहा कि यूजीसी-नेट परीक्षा का आयोजन फिर से किया जाएगा. इसके लिए तारीखों समेत अन्य जरूरी चीजों का ऐलान अलग से किया जाएगा. यूजीसी-नेट एग्जाम के माध्यम से भारतीयों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और देश की यूनिवर्सिटी एवं कॉलेजों में पीएचडी में एडमिशन के लिए एलिजिबिलिटी निर्धारित की जाती है. हर साल लाखों की संख्या में छात्र इस एग्जाम में बैठते हैं.
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