मुंबई (Mumbai) । महाराष्ट्र (Maharashtra) में विधानसभा स्पीकर (assembly speaker) का फैसला आने का बाद अब फिर उथल-पुथल के आसार हैं। खबर है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) के कुछ सदस्य इस मामले को संभालने में फेल हुए अपने ही नेताओं से नाराज चल रहे हैं। हालांकि, पार्टी मनमुटाव होने की बात से साफ इनकार कर रही है। बुधवार को स्पीकर राहुव नार्वेकर ने किसी भी विधायक को अयोग्य घोषित करने से इनकार कर दिया था।
क्या था मामला
स्पीकर के फैसले की समीक्षा के लिए ठाकरे के निवास मातोश्री पर एक बैठक बुलाई गई थी। इस मीटिंग में राज्यसभा सांसद संजय राउत समेत कई नेता पहुंचे थे। अब टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खबर है कि कई नेता भारत निर्वाचन आयोग यानी ECI के रिकॉर्ड्स और स्पीकर के दफ्तर में में 2018 का संशोधित पार्टी संविधान शामिल कराने में अपने नेताओं की असफलता पर नाराज हैं।
दरअसल, पार्टी का 2018 का संशोधित संविधान EC के रिकॉर्ड्स में शामिल नहीं था। अब नार्वेकर ने 1999 के संविधान को वैध पाया। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि इसके चलते नेताओं के बीच तनाव देखा गया। पदाधिकारियों का कहना है कि चुनाव आयोग और विधानसभा से जुड़े मामलों की जिम्मेदारी सांसद अनिल देसाई और पूर्व मंत्री सुभाष देसाई की थी।
रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना UBT अनिल परब का कहना है कि चुनाव आयोग को 2018 में हुए संशोधन से जुड़े सभी दस्तावेज दे दिए गए थे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट को भी दस्तावेज सौंप दिए जाएंगे। सांसद अरविंद सावंत का कहना है ‘(2018) में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हमने उद्धव ठाकरे को पार्टी प्रमुख बनाया था। किसने शिंदे को एबी फॉर्म दिया… उन्हें किसने विपक्ष के नेता का पद दिया?’
उन्होंने आगे कहा, ‘अब तक चुनाव आयोग ने नहीं कहा कि संविधान गलत है। कोई मनमुटाव नहीं है। इस बात पर चर्चा की गई है कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे…।’ उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग में संविधान में संशोधनों की जानकारी दाखिल कर दी गई थी। साथ ही उन्होंने इस बात के सबूत होने का भी दावा किया है।
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