नई दिल्ली: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (Shivsena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाले गुट ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं. ऐसी खबर है कि गुट ने 12 सूत्रीय पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और चिह्न देने में पक्षपात किया है. महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी खेमे के पक्ष में पूर्वाग्रह था. हाल ही में चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समर्थन वाले गुट और ठाकरे कैंप को नए नाम और चिह्न आवंटित किए हैं. इससे एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में नया विवाद जन्म लेता नजर आ रहा है.
पत्र में कहा गया है कि शिंदे गुट ने उन चिह्न और नाम का चुनाव किया, जिनका सुझाव ठाकरे गुट की ओर से दिया गया था. साथ ही ठाकरे समूह की तरफ से दिए गए सुझावों को शिंदे गुट को कॉपी करने का मौका मिला है. इसके लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है. पत्र में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने टीम ठाकरे की पसंद के नामों और प्रतीकों को चुनाव निकाय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था, जिसका फायदा शिंदे गुट ने उठाया. इधर, चुनाव आयोग ने सोमवार को शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को ‘ज्वलंत मशाल’ (मशाल) चुनाव चिन्ह आवंटित किया था. आयोग ने उनके दावे ‘त्रिशूल’ को धार्मिक अर्थ का हवाला देते हुए को खारिज कर दिया.
चुनाव आयोग ने शिवसेना के धनुष-बाण चिन्ह पर रोक लगा दी थी
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों के बीच तनातनी के बीच चुनाव आयोग ने पिछले शनिवार को शिवसेना के धनुष-बाण चिन्ह पर रोक लगा दी थी. शिवसेना में विवाद पर एक आदेश में, चुनाव आयोग ने ठाकरे गुट के लिए पार्टी के नाम के रूप में ‘शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ और एकनाथ शिंदे समूह के नाम के रूप में ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) आवंटित की. पार्टी का. इस बीच, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के गुट को अब बालासाहेबंची शिवसेना कहा जाता है, और एक ढाल और दो तलवारों का प्रतीक है.
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