मुंबई (Mumbai) । लंबे इंतजार के बाद बुधवार को शिवसेना (Shiv Sena) और उसके विधायकों (MLA) को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर (maharashtra assembly speaker) का फैसला आया। इस फैसले ने एकनाथ शिंदे गुट में नई जान फूंक दी तो वहीं उद्धव ठाकरे को करारा झटका लगा। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने लंबा फैसला पढ़ते हुए कहा कि शिवसेना के संविधान के मुताबिक असली गुट एकनाथ शिंदे का ही है। उन्होंने इसके पीछे पार्टी के संविधान, संगठन के ढांचे और विधायक एवं सांसदों के बहुमत को आधार बताया। अब 16 जनवरी से एनसीपी में पड़ी फूट को लेकर सुनवाई होने जा रही है। कहा जा रहा है कि इस संबंध में 31 तारीख तक फैसला आ जाएगा। लेकिन शिवसेना को लेकर आए फैसले ने एनसीपी के शरद पवार को भी टेंशन दे दी है।
इसकी वजह कि जिन आधारों पर शिवसेना पर असली अधिकार एकनाथ शिंदे गुट का बता दिया गया। उन्हें देखते हुए अजित पवार को एनसीपी में बढ़त मिल सकती है। स्पीकर का फैसला यदि अजित पवार गुट के पक्ष में गया तो लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार एंड टीम के लिए यह बड़ा झटका होगा। शिवसेना पर आए फैसले के बाद शरद पवार के बयान भी बताते हैं कि वह आशंकित हैं। उन्होंने कहा कि शिंदे गुट के विधायकों की भाषा बता रही थी कि वे सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय गाइडलाइंस का पालन नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि दूसरे मामलों पर विचार के दौरान भी इन तर्कों को लागू नहीं किया जाएगा।’ इससे साफ है कि शरद पवार पार्टी के भविष्य को लेकर आशंकित हैं औऱ उन्हें लगता है कि फैसला अजित पवार के गुट के पक्ष में जा सकता है क्योंकि उनके पास विधायकों की संख्या अधिक है। अजित पवार गुट का दावा है कि उनके पास एनसीपी के 54 में से 40 विधायक हैं। उन्होंने चुनाव आयोग में पार्टी के नाम और सिंबल पर दावा ठोका है। यही नहीं चर्चा है कि आने वाले दिनों में कुछ और विधायक पाला बदल सकते हैं।
क्यों बोल रहे जानकार, शरद पवार के लिए भी मुश्किल वक्त
इस तरह 83 वर्षीय शरद पवार के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति है। राहुल नार्वेकर ने शिवसेना पर दिए फैसले में चुनाव आयोग की बात को भी आधार बनाया था। उन्होंने कहा कि आयोग मानता है कि एकनाथ शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। एनसीपी पर भी आयोग का फैसला कभी भी आ सकता है। संवैधानिक मामलों के जानकार उल्हास बापट मानते हैं कि पवार गुट को झटका लग सकता है, जैसे उद्धव ठाकरे को लगा है। उन्होंने कहा, ‘शिवसेना विवाद में जो तर्क दिए गए, वही एनसीपी में विभाजन पर भी आ सकते हैं। अजित पवार गुट को ही असली एनसीपी घोषित किया जा सकता है।’
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