नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले देश में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code)’ का मुद्दा एक बार फिर से उछलता हुआ नजर आ रहा है. उत्तराखंड (Uttarakhand) में यह फैसला लागू भी हो चुका है. वहीं अब इस मामले में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी बयान दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ देश को एकता में बांधने वाला बताया है. उन्होंने इस मामले में पीएम मोदी की भी तारीफ की है.
दरअसल, उमा भारती ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए लिखा ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड ही देश को एकता के सूत्र में बांधता है, मोदी जी एवं उनके नेतृत्व में मुख्यमंत्री गण हमारे सभी सपनों को साकार कर रहे हैं, अभिनंदन.’ उमा भारती का यह पोस्ट अहम माना जा रहा है कि क्योंकि एक तरफ देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं तो दूसरी तरफ चुनाव से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग भी तेज होती जा रही है.
यह कोई पहला मौका नहीं है जब उमा भारती ने UCC को लेकर बयान दिया है. इससे पहले भी उन्होंने राजस्थान में कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड एक होना चाहिए. एक राष्ट्र में दो राष्ट्र का सिद्धांत कैसे चलेगा, इसलिए देश में एक ही सिविल कोड होना चाहिए. क्योंकि जब अमेरिका जैसे-जैसे बड़े देशों में इसी तरह का एक सिविल कोड लागू हैं तो फिर हमारे देश में यह क्यों नहीं हो सकता है. उमा भारती ने कहा कि मेरे हिसाब से इस मामले में किसी को भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए. जबकि अब उन्होंने फिर एक बार यह मुद्दा उठाया है.
खास बात यह है कि उमा भारती से पहले कल मध्य प्रदेश के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी जनसंख्या कानून को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के कदमों को आगामी समय में निर्णायक बताया था. जबकि अब उमा भारती ने भी एक तरह से यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग की है. बता दें कि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार यूसीसी को लागू कर चुकी है.
बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) किसी भी देश में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाया जाता है. यानि उस देश में रहने वाले सभी जाति, धर्म और लिंग के लोगों के लिए एक ही कानून होता है. जिसमें विवाह, बच्चा गोद लेना, तलाक, संपत्ति का बंटवारा जैसे हर मुद्दे पर एक ही कानून लागू होता है. इसे ही यूनिफॉर्म सिविल कोड कहा जाता है. बता दें कि भारत में भी अब इस तरह के कानून की मांग तेज होती जा रही है.
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