इन्दौर। टेरर फंडिंग के चलते एनआईए ने कल देशभर में छापा मारकर पीएफआई के सौ से अधिक लोगों को पकड़ा है। इंदौर और उज्जैन से भी चार लोगों को पकड़ा है। बताते हैं कि लॉकडाउन के पहले सराफा पुलिस ने भी इनके जवाहर मार्ग स्थित ऑफिस पर छापा मारा था, जहां 30 लोग मीटिंग करते मिले थे। हालांकि कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली थी। तब से पुलिस उनके ऑफिस पर नजर रखे हुए थी, जहां कल एनआईए की टीम पहुंची थी।
एनआईए ने कल जवाहर मार्ग स्थित पीएफआई के ऑफिस पर छापा मारा था। यहां से डीवीआर और अन्य दस्तावेज जब्त करने की बात सामने आई है। एनआईए इंदौर से संगठन से जुड़े तीन लोगों को पकडक़र ले गई है। पुलिस सूत्रों के अुनसार लॉकडाउन के पहले सराफा पुलिस को सूचना मिली थी कि जिम के पास एक बिल्डिंग में कुछ अवैध गतिविधियां चलती हैं और कई लोग मीटिंग करते हैं। इस पर टीम ने वहां छापा मारकर 30 लोगों को हिरासत में लिया था। बाद में पूछताछ कर छोड़ दिया था। बताते हैं कि पहले एसडीपीआई और फिर पीएफआई के नाम से यहां गतिविधियां चलती थीं। तब से सराफा पुलिस और खुफिया विभाग की इस ऑफिस पर नजर रहती है।
चांदखेड़ी और खरगोन दंगे में भूमिका
पीएफआई की गतिविधियों पर पुलिस कुछ सालों से सिमी की तरह ही नजर रखे हुए है। बताते हैं कि सिमी के फाउंडर सदस्यों ने ही इसकी स्थापना की है। वहीं इंदौर में प्रतिबंध के बाद सिमी से जुड़े सौ से अधिक सदस्य पीएफआई का काम कर रहे हैं। इंदौर में चूड़ीवाला, कोतवाली प्रदर्शन के अलावा सदर बाजार में एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन को ये लोग संचालित कर रहे थे। इसके अलावा खरगोन दंगे और देपालपुर के चांदखेड़ी में हुए दंगे में संगठन की भूमिका सामने आई थी।
भडक़ाऊ मैसेज से खराब करते हैं माहौल
बताते हैं कि सिमी का मालवा में गढ़ था, जो अब पीएफआई का भी गढ़ बनता जा रहा है। अब इसके सदस्य सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। कोई भी घटना होने पर भडक़ाऊ मैसेज भेजकर युवाओं को बरगलाते हैं। मैसेज भेजने के मामले में पुलिस ने कुछ पर केस भी दर्ज किए थे।
मकान तोडऩे की हो सकती है कार्रवाई
पुलिस सूत्रों के अनुसार एनआईए के छापे के बाद पुलिस गोपनीय रूप से इनकी अवैध संपत्तियों की जानकारी जुटा रही है, ताकि उनके मकान और अवैध निर्माण पर कार्रवाई की जा सके।
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