इंदौर। जिसे अपने सगे माता-पिता ने दृष्टिहीन होने के कारण त्याग दिया था, वह अब कल अमेरिका की उड़ान भरेगी। नए माता-पिता जहां उसे लेने शहर पहुंच चुके है, वहीं नए नाम, नए शहर के आधार पर जन्म प्रमाण पत्र और पासपोर्ट भी बनकर तैयार हैं। एडाप्शन कमेटी बच्ची को आज माता-पिता के सुपुर्द करेगी। जन्म से जिसके साथ भगवान ने अन्याय किया, देखने की शक्ति ही नहीं दी, उसे जन्म देने वाले माता-पिता ने भी लाचार कहकर ठुकरा दिया। छह महीने भी मां का दूध नसीब नहीं हुआ। अब वे अभागन किसी के घर की लाड़ली बनकर घर को चहकाएगी। तीन भाई-बहनों की लाड़ली बनने वाली मासूम कल अमेरिका के लिए उड़ान भरेगी। शहर की संस्था संजीवनी सेवा संगम में निवासरत दो साल की दृष्टिहीन मासूम को अमेरिका के दम्पति ने गोद ले लिया। अब तक जिसे संस्था के लोग सोनिया के नाम से जानते थे, वह अब एक नए नाम और नई पहचान के साथ नए परिवार में जा रही है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आज से उसे एडाप्शन कमेटी के समक्ष माता-पिता के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
तीन दिन रहेगी माता-पिता के साथ
इंदौर और देश से विदा लेने के पहले तीन दिन तक लगातार बच्ची को माता-पिता के साथ रखा जाएगा, ताकि वह उनसे घुलमिल जाए। कल देर शाम बच्ची को अमेरिका माता-पिता के सुपुर्द कर दिया गया है। शहर की बड़ी होटल में वह माता-पिता के साथ तीन दिन तक रहेगी। आज शहर पहुंचे दम्पति को कानूनी व कागजी कार्रवाई पूरी कर बेटी को गोद लेना होगा। महिला एवं बालविकास विभाग अधिकारी रामनिवास बुधोलिया, संस्था के अध्यक्ष, सामाजिक कार्यकर्ता व एडाप्शन कमेटी में शामिल अविनाश यादव के समक्ष हैेंडओवर लेटर पर साइन कराए जाएंगे। तकनीकी जानकारी देते हुए राहुल कोहली ने बताया कि गोद लेने की प्रक्रिया में कारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संस्था बच्चों को लीगल फ्री कर साइड पर अपलोड करती है, जिसके बाद लम्बी प्रक्रिया के बाद बच्चो को गोद दिया जाता है।
दो साल से देख रही थी बांट
ज्ञात हो कि उक्त बच्ची को दो साल पहले दृष्टिहीन होने के कारण माता-पिता ने त्याग दिया था। संजीवनी सेवा संगम में रहते हुए अधिकारियों ने बच्ची को लीगल फ्री करवाया। एडाप्शन प्रक्रिया के लिए कारा मे रजिस्ट्रेशन हुआ और आखिरकार उसे अब अपना परिवार नसीब हो सकेगा। ज्ञात हो कि विदेशियों द्वारा गोद लेने वाले बच्चों के लिए आफा संस्था कार्यरत है, जो सारी कानूनी कार्रवाई करने के साथ-साथ परिवार की जानकारी जुटाने का कार्य भी करती है, वहीं विदेश में गोद लिए बच्चों की निगरानी भी यही संस्था करती है। हर छह महीने में माता-पिता से बच्चों की जानकारी ली जाती है।
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