भोपाल। मप्र में 1 अप्रैल से कई शराब दुकानें बंद हो जाएंगी। प्रदेश की राजधानी भोपाल और व्यवसायिक राजधानी इंदौर सहित कई जिलों की करीब एक तिहाई दुकानें नहीं खुलेंगी। राज्य सरकार की नई नीति को लेकर खफा ठेकेदारों द्वारा दुकानें लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाने के कारण यह हालात बन रहे हैं। ठेकेदारों ने सरकार को नीति बदलने की चेतावनी भी दे दी है।
नई शराब नीति के विरोध के चलते भोपाल, इंदौर, जबलपुर-ग्वालियर समेत राज्य के 17 जिलों में ठेकेदारों ने ठेके नहीं लिए हैं। अभी तक प्रदेश के इन जिलों में औसतन 35 प्रतिशत शराब ठेके ही नीलाम हो पाए हैं। शराब ठेकेदारों ने मप्र सरकार को चेतावनी दी है कि नई नीति में बदलाव नहीं हुआ तो 1 अप्रैल से शराब दुकानें नहीं खुलेंगी. इससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होगा। प्रदेश में नई शराब नीति के तहत के सिंगल की जगह ग्रुप में दुकानों के टेंडर दिए जा रहे हैं। सन 2000-21 और 2021-22 में सिंगल ठेका व्यवस्था थी यानि एक ही ठेकेदार दुकानों का संचालन करते थे। नई नीति में 2022-23 के लिए 3-3 दुकानों के ग्रुप बना दिए गए हैं। इस नीति को लेकर ही ठेकेदार खफा हैं और वे दुकानें नहीं ले रहे हैं।
इन जिलों में 35 प्रतिशत दुकानें ही नीलाम
इंदौर, भोपाल, राजगढ़, खंडवा, जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, कटनी, रीवा, सतना, उज्जैन, नीमच, सागर, ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड और मुरैना। आधे से ज्यादा ठेके नीलाम नहीं होने से सरकार के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान तय दिख रहा है. इससे बचने के लिए या तो ठेकेदारों की मांगे माननी होंगी या फिर सरकार को ही ठेके चलवाने पड़ेंगे।
इस कारण नहीं ले रहे ठेके
शराब बिक्री में मार्जिंन कम करना, रिजर्व प्राइस बढ़ाना, एक ही जगह दोनों तरह की यानि देशी-अंग्रेजी शराब दुकानें खोलना, माल उठाने में कई पाबंदियां आदि।
क्या कर सकती है सरकार
राजस्व नुकसान से बचने के लिए सरकार खुद ठेके चलवा सकती है। नई शराब नीति में बदलाव कर ठेकेदारों को राहत दे सकती है या चालू शराब ठेके 31 मार्च तक ही चल सकेंगे। 1 अप्रैल से नई व्यवस्था करनी ही होगी।
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