इंदौर। मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने पिछले दिनों 2600 करोड़ से ज्यादा के अंतर्राष्ट्रीय टेंडर जारी किए थे, जिसमें 156 मेट्रो कार, जिसे आम बोलचाल की भाषा में कोच या डिब्बे भी कह सकते हैं, की खरीदी के अलावा ट्रैन कंट्रोलिंग सिस्टम, टेली कम्यूनिकेशन, सिग्नलिंग, इलेक्टिफिकेशन, इंस्टॉलेशन सहित अन्य कार्य होना है। इसमें 1420 करोड़ रुपए के कोच भी शामिल हैं, जो इंदौर-भोपाल में दौडऩे वाली मेट्रो प्रोजेक्ट में इस्तेमाल होंगे। इसके लिए दो टेंडर ही कार्पोरेशन को मिले हैं। एक फ्रांस की कम्पनी, तो दूसरा भारत सरकार की संयुक्त उपक्रम वाली कम्पनी है।
दो हिस्सों में ये टेंडर बुलवाए गए थे, जिसमें 2145 करोड़ के टेंडर रेल कोच और उससे जुड़े कार्यों के लिए, तो 516 करोड़ का दूसरा टेंडर इलेक्टिफिकेशन सहित अन्य कार्यों के लिए था। भोपाल मेट्रो के लिए 737 करोड़ की राशि से 27 मेट्रो ट्रेन के लिए 81 कोच खरीदे जाना है, तो इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट में जो 25 ट्रेनें दौड़ेंगी उनके लिए 75 कोच लिए जाना है। सुपर कॉरिडोर, एमआर-10 से लेकर रिंग रोड पर मेट्रो के पहले चरण का काम तेज गति से चल रहा है। वहीं दो टेंडर रोलिंग स्टॉक यानी कोच सहित अन्य कार्यों के लिए मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को मिले हैं।
इसमें फ्रांस की कम्पनी के अलावा भारत सरकार की संयुक्त उपक्रम वाली देशी कम्पनी भी शामिल है और सूत्रों के मुताबिक टेंडर देश की इस कम्पनी को ही मिलने की संभावना सर्वाधिक है। इंदौर में जो मेट्रो प्रोजेक्ट अमल में लाया जा रहा है उसमें एक मेट्रो ट्रेन की लम्बाई 140 मीटर रहेगी। इस लम्बाई के अनुरूप ही पहले चरण के प्रोजेक्ट के लिए 29 स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है और 31.46 किलोमीटर के ट्रैक पर 25 मेट्रो ट्रेन दौड़ेगी और प्रति ट्रेन 3-3 कोच के हिसाब से अभी 75 कोच यानी मेट्रो कार-रोलिंग स्टॉक की खरीदी की जाएगी।
जब दूसरे ट्रैक के प्रोजेक्ट बनेंगे, तब उसके लिए फिर अलग से कोच और साधन-संसाधन लिए जाएंगे। इंदौर मेट्रो के लिए 1 हजार 55 हजार और भोपाल मेट्रो के लिए 1090 करोड़ के रोलिंग स्टॉक, सिग्नल, ट्रेन कंट्रोल सिस्टम, टेली कम्यूनिकेशन के ये टेंडर बुलवाए गए, वहीं इंदौर मेट्रो के लिए 516 करोड़ का इलेक्टीफिकेशन का भी टेंडर अलग से मंजूर किया जाएगा। जो भी कम्पनी ये रोलिंग स्टॉक का ठेका लेगी, उन्हें 7 साल तक रख-रखाव, सिग्नलिंग सहित अन्य कार्य भी करना होंगे। दरअसल पूर्व में फ्रांस और जर्मनी की कम्पनियां ही मेट्रो कोच सहित अन्य सामग्री निर्मित करती थी, मगर देश में चूंकि कई बड़े शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू हो गए, लिहाजा अब देशी कम्पनी भी ये कोच निर्मित करने लगी है। हालांकि तकनीक सहित अन्य जानकारी अभी भी विदेशी कम्पनियों से ही लेना पड़ती है।
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