इंदौर। शहर को भिखारीमुक्त बनाने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है और अभी निगम चुनाव में यह एक मुद्दा भी है। पिछले दिनों इन भिखारियों के पुनर्वास की प्रक्रिया भी शुरू की गई और अभी तक 8 भिखारियों को रोजगार भी मिल गया है। इसमें 3 साल से विक्षिप्त अवस्था में भागीरथपुरा की गलियों में भटकने वाली एक महिला अनिता अग्रवाल भी शामिल हैं, जो अब एक माह के इलाज के बाद स्वस्थ हो गई और उसे पुनर्वास केन्द्र में ही रोजगार मिल गया।
पति के साथ दो बेटों ने भी अनिता को छोड़ दिया और वह विक्षिप्त अवस्था में भीख मांगती रही। तीन महीने पहले निगम की सहयोगी संस्था प्रवेश की टीम ने उसका रेस्क्यू किया और बाणगंगा स्थित मानसिक चिकित्सालय में इलाज करवाया। संस्था प्रवेश की प्रमुख रूपाली जैन के मुताबिक एक महीने में ही अनिता पूरी तरह से स्वस्थ हो गई और जब उसके पति और बेटों को फोन लगाया गया तो उन्होंने साथ ले जाने से साफ इनकार कर दिया। अनिता अग्रवाल के पति के अलावा दो बेटे भी भागीरथपुरा में ही रहते हैं, जिसके चलते अनिता ने भी अपने आत्मसम्मान की खातिर काम कर अपना पेट पालने का निर्णय लिया, जिसके चलते पुनर्वास केन्द्र में ही उसे भोजन बनाने का जिम्मा दिया गया और 7 हजार रुपए महीना भी उसे दिया जाता है। रहने, खाने सहित अन्य सुविधाएं भी केन्द्र में ही उपलब्ध कराई है। ऐसे 8 लोग जो भीख मांगते थे, अब रोजगार करने लगे।
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