नई दिल्ली (New Dehli)। मुंबई (Mumbai)में 29 साल पहले तीन हजार रुपये गायब (Missing)होने पर मां और चार मासूम बच्चों की हत्या कर भाग निकले दो सगे भाइयों (two real brothers)को सारनाथ क्षेत्र स्थित सारंगनाथ महादेव (Sarangnath Mahadev situated)मंदिर के समीप से एसटीएफ और महाराष्ट्र पुलिस की संयुक्त टीम ने शनिवार को गिरफ्तार किया। आरोपियों की पहचान जौनपुर जिले के गौरा बादशाहपुर थाना के निशान गांव निवासी अनिल सरोज उर्फ विजय और सुनील सरोज उर्फ संजय के तौर पर हुई है। दोनों को अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर मुंबई पुलिस अपने साथ ले गई।
मुंबई के भड़वाल चाल, पेंकरमाला मीरा रोड, भयंदर में अनिल सरोज अपने भाई सुनील सरोज के साथ रहकर मजदूरी करता था। दोनों भाइयों के पड़ोस में प्रयागराज का राज नरायन प्रजापति अपनी पत्नी जगरानी, तीन मासूम बेटों और एक बेटी के साथ रहता था। अनिल सरोज के सूटकेस से एक दिन तीन हजार रुपये गायब हो गए थे। अनिल को शक था कि उसका पैसा राज नरायन प्रजापति के बच्चों ने गायब किया है।
इस बात को लेकर दोनों परिवारों में आए दिन कहासुनी होने लगी। 16 नवंबर 1994 को राज नरायन अपने काम पर चला गया था। इसके बाद सुनियोजित तरीके से अनिल और सुनील ने अपने साथी बड़ागांव थाना के नोनवटी बीरापट्टी निवासी कालिया चौहान उर्फ अमरनाथ के साथ राज नरायन की पत्नी व चारों बच्चों की चाकू व चापड़ से वार कर हत्या कर दी। इस संबंध में थाना काशीमीरा थाणे में अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था।
पुलिस की विवेचना के दौरान अनिल, सुनील और अमरनाथ का नाम सामने आया। अमरनाथ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन अनिल और सुनील का पता नहीं लगा था। दोनों भाइयों के बारे में मीरा भयंदर वसई की क्राइम ब्रांच यूनिट को पता लगा कि वह जौनपुर में ही हैं और बनारस उनका आना-जाना लगा रहता है। इसके आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने दोनों भाइयों की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ की वाराणसी यूनिट से मदद मांगी।
सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से हुए गिरफ्तार
एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र पुलिस के सहयोग मांगने पर पर इंस्पेक्टर अमित श्रीवास्तव के नेतृत्व में एसआई अंगद यादव, ज्ञानेंद्र सिंह व शहजादा खां की टीम गठित की गई। सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से पता लगा कि अनिल और सुनील सारनाथ क्षेत्र स्थित सारंगनाथ महादेव मंदिर आने वाले हैं। इस सूचना के आधार पर दोनों को सारंगनाथ महादेव मंदिर के पास से गिरफ्तार किया गया। दोनों के पास से आधार कार्ड और एक हजार रुपये बरामद किए गए।
15 वर्ष दिल्ली में की मजदूरी, फिर बन गए तांत्रिक
एसटीएफ की पूछताछ में दोनों भाइयों ने बताया कि मां और चार बेटों की हत्या करने के बाद वह मुंबई से भाग गए थे। मुंबई से दोनों दिल्ली आए और मजदूरी कर जीवन यापन करने लगे। दोनों कभी अपने घर नहीं जाते थे। चोरी से किसी रिश्तेदार के यहां जाकर अपने परिजनों से मुलाकात कर लेते थे। यह सिलसिला लगभग 15 वर्षों तक चला।
जब दोनों आश्वस्त हो गए कि अब वह पकड़े नहीं जाएंगे तो वर्ष 2009 में जौनपुर जिले के केराकत थाना के सोहनी गांव स्थित अपने ननिहाल में नाम और वेशभूषा बदल कर रहने लगे। इसके साथ ही अनिल ने तांत्रिक पूजा का काम शुरू कर दिया और सुनील उसका सहयोगी बन गया। इसके बाद दोनों बिना किसी डर के इधर-उधर आने-जाने लगे। इसी क्रम में दोनों भाई सारनाथ क्षेत्र स्थित सारंगनाथ महादेव मंदिर में भी पूजापाठ के लिए अकसर आते थे। पूजापाठ के क्रम में ही दोनों भाई सारंगनाथ महादेव मंदिर जा रहे थे, लेकिन उससे पहले ही पकड़े गए।
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