भोपाल। मोदी कैबिनेट (Modi cabinet) में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Rajya Sabha MP Jyotiraditya Scindia) और टीकमगढ़ सांसद वीरेन्द्र खटीक (Tikamgarh MP Virendra Khatik) को मंत्री बनाया गया है। अब दिल्ली में मप्र से पांच मंत्री हो गए हैं। जिससे मप्र का दिल्ली में दबदबा बढ़ गया है। साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उनका कद और बढ़ गया है। ग्वालियर-चंबल में वे केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Minister Narendra Singh Tomar) के बाद सत्ता के दूसरे बड़े पॉवर सेंटर बन गए हैं। खास बात यह है कि दोनों नेता ग्वालियर से हैं।
मोदी कैबिनेट में पहले थावरचंद्र गहलोत (Thawarchandra Gehlot) सहित चार मंत्री थे। गहलोत के इस्तीफा के बाद नए कैबिनेट में मप्र के दो नेताओं को शामिल किया है। अब नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते के बाद सिंधिया और खटीक भी मंत्री गए हैं। देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहला मौका है कि जब केंद्रीय कैबिनेट में ग्वालियर से एक साथ दो नेता मंत्री हैं। जिसका फायदा क्षेत्र के विकास को मिलेगा, वहीं दूसरी ओर नेताओं के समर्थकोंं में टकराव के हालात भी बनेंगे। सिंधिया जब कांग्रेस में थे, तब वे मप्र कांग्रेस के एक गुट के बड़े नेेता था। खासकर ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस का हर राजनीतिक फैसला सिंधिया की मर्जी से होता था। यहां तक कि विधानसभा के टिकट सिंधिया की मर्जी से बंटते थी। इसी तरह भाजपा में नरेन्द्र सिंह तोमर ग्वालियर-चंबल के बड़े नेता हैं। तोमर दो बार मप्र भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं, उनकी प्रदेश भर में अच्छी खासी पकड़ है। हर जिले में उनके पास समर्थकों की फौज है। खासकर ग्वालियर-चंबल में भी तोमर के समर्थकों की संख्या अच्छी खासी है। सिंधिया के भाजपा में आने से पहले क्षेत्र के हर राजनीतिक फैसले तोमर की रजामंदी से होते थे। खास बात यह है कि सिंधिया और तोमर के समर्थक अलग-अलग है। हालांकि दोनों पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, इस लिहाज से पार्टी कार्यकर्ता दोनों के साथ हैं।
निकाय चुनाव में अपनों को टिकट दिलाने की होड़
भाजपा में आने के बाद सिंधिया ने अपने समर्थकों को सत्ता और संगठन में एडजस्ट कराया है। ऐसी चर्चा है कि निकट भविष्य में विधानसभा उपचुनाव हार चुके सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों को भी मंत्री पद का दर्जा मिलेगा। साथ ही निकाय चुनाव में टिकट दोनों नेताओं का फोकस ज्यादा से ज्यादा अपने समर्थकों केा टिकट दिलाने पर रहेगा। हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों को जिलों के प्रभार आवंटित किए हैं। इनमें ग्वालियर चंबल के ज्यादातर जिलों में सिंधिया समर्थकों को प्रभार मिले हैं। जबकि तोमर अपने संसदीय क्षेत्र के जिले मुरैना एवं श्योपुर का प्रभार अपने समर्थक मंत्री भारत सिंह कुशवाह को दिलवाए हैं।
मप्र के बाद दिल्ली ने भी की मालवा की उपेक्षा
मोदी मंत्रिमंडल में मप्र से पांच मंत्री हैं। जिनमें से दो मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर-चंबल से हैं। वीरेन्द्र खटीक और बुंदेलखंड से हैं। प्रहलाद पटेल मूलत: महाकौशल क्षेत्र के नरसिंहपुर जिले से हैं जबकि बुंदेलखंड के दमोह जिले से संासद हैं। फग्गन सिंह मंडला जिले से हैं। मोदी मंत्रिमंडल से हटाए गए थावरचंद्र गहलोत मालवा क्षेत्र के आगर जिले से हैं। अब मोदी कैबिनेट में मालवा क्षेत्र से एक भी मंत्री नहीं है। हालांकि कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय महासचिव हैं, वे इंदौर (मालवा) से हैं।
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