कोलकाता । माकपा और ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट (CPM and AISF) ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में (In West Bengal) पंचायत चुनाव के लिए नामांकन चरण में (For Panchayat Elections) नामांकन के दौरान (During Nomination) हिंसा के खिलाफ (Against Violence) कलकत्ता उच्च न्यायालय में (In Calcutta High Court) दो याचिकाएं दायर कीं (Two Petitions Filed) । न्यायमूर्ति राजशेखर मंथ ने याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। मामले दिन के दूसरे पहर में सुनवाई के लिए आएंगे।
इस बीच, बुधवार सुबह राज्य चुनाव आयोग ने भी राज्य में आगामी ग्रामीण निकाय चुनावों के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा अपने स्वयं के पर्यवेक्षक नियुक्त करने के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की। याचिका में, आयोग ने राष्ट्रीय मानवाधिकार निकाय पर मामले में अति सक्रिय होने का आरोप लगाने के अलावा पंचायत चुनावों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति में एनएचआरसी के अधिकार को चुनौती दी है।
11 जून को एनएचआरसी ने राज्य में पंचायत चुनावों के लिए स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में महानिदेशक (जांच) दामोदर सारंगी की नियुक्ति की घोषणा की। एनएचआरसी द्वारा इस संबंध में राज्य चुनाव आयोग और राज्य सचिवालय को एक संदेश भेजा गया था। एनएचआरसी ने नामांकन चरण के दौरान शुक्रवार को मुर्शिदाबाद जिले के खारग्राम में एक कांग्रेस कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या करने और नामांकन पत्र लेने पहुंचे एआईएसएफ प्रत्याशी को अनुमति देने के लिए दक्षिण 23 परगना जिले के भांगर में सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं द्वारा राज्य सरकार के एक कर्मचारी पर हमला करने की खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया था।
इसके अलावा, पिछले शुक्रवार से नामांकन के पहले चार दिनों के दौरान राज्य के विभिन्न इलाकों से बड़े पैमाने पर हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं। पता चला है कि सारंगी हिंसा की घटनाओं के साथ-साथ राज्य प्रशासन द्वारा इस संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए मौके पर जांच करेंगे।
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