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    नये बने दो थाने…दो साल बाद भी व्यवस्थाएं नहींं

  • July 10, 2022

    • चिंतामण और पंवासा थाने में हिरासत में लेने के बाद आरोपियों को ऑटो में बैठाकर दूसरे थानों के लॉकअप तक ले जाना पड़ रहा

    उज्जैन। आज से लगभग दो साल पहले चिंतामण और पंवासा क्षेत्र में दो नए थाने शुरु किए गए थे। इनका विधिवत उद्घाटन हुआ था। दोनों थानों में लॉकअप की सुविधा नहीं है। थाना स्टाफ को आरोपी को पकडऩे के बाद लॉकअप के लिए अन्य थानों में ले जाना पड़ रहा है। इसके लिए भी वाहन नहीं हैं। इस कारण ऑटो का सहारा लेना पड़ रहा है। इसमें आरोपियों के भागने का खतरा भी रहता है। लंबे समय से शहर के बढ़ते दायरे को देखते हुए यह आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि चिंतामण तथा मक्सी रोड स्थित पंवासा क्षेत्र में पुलिस थाने स्थापित होना चाहिए। इसके प्रयास पुलिस अधिकारियों ने सिंहस्थ 2016 के पहले ही शुरु कर दिए थे। शुरुआती सालों में दोनों थानों के भवन निर्माण के लिए जमीन की तलाश चलती रही। इसके लिए उज्जैन पुलिस ने भोपाल मुख्यालय तक पत्राचार भी किया था। ऐसे में सिंहस्थ भी गुजर गया था और जमीन की व्यवस्था नहीं हो पाई थी। यही कारण है कि दो साल पहले पुलिस के आला अधिकारियों ने प्रशासन और अन्य विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर चिंतामण और पंवासा क्षेत्र में थानों की आवश्यकता को देखते हुए जब जमीन नहीं मिली तो किराए के भवन तलाशे और उन्हीं में थाने स्थापित कर दिए। इन दोनों थानों का उद्घाटन साल 2020 में 5 जुलाई को किया गया था। कोरोना काल में शुरु हुए इन दोनों थानों में तभी से कामकाज चल रहा है।

    चिंतामण में 24, पंवासा में 30 का स्टाफ
    नए बने चिंतामण थाने के लिए किराए के भवन में स्टाफ की भी व्यवस्था की गई थी। यहाँ थाना प्रभारी सहित कुल 24 लोगों का स्टाफ काम कर रहा है। इसके अतिरिक्त पंवासा थाने में जो कि यह भी किराए के भवन में संचालित हो रहा है, यहाँ भी कामकाज के लिए टीआई समेत 30 लोगों का स्टाफ लगाया गया है।


    लॉकअप का इंतजाम शुरू से नहीं
    चिंतामण और पंवासा नए थानों में लॉकअप की व्यवस्था नहीं की गई है। दोनों थानों के स्टाफ की यही सबसे बड़ी चिंता है। जब किसी आरोपी को पकड़कर थाने लाया जाता है और उसे अगले दिन कोर्ट में पेश करने से पहले रात में लॉकअप में रखना जरूरी होता है। दोनों जगह लॉकअप नहीं होने के कारण इन थानों के पुलिसकर्मी पकड़े गए आरोपियों को रातभर रखने के लिए दूसरे थानों तक जाते हैं। इसमें चिंतामण थाने के आरोपियों को महाकाल थाने के लॉकअप तक पहुँचाया जाता है, जबकि पंवासा थाने के पकड़े गए आरोपी चिमनगंज मंडी थाने के लॉकअप में लाए जाते हैं।

    एक में फोन सुविधा तो दोनों में वाहन भी नहीं
    चिंतामण और पंवासा क्षेत्र में किराए के भवन में शुरु किए नए थानों में भले ही स्टाफ की तैनाती कर दी गई हो लेकिन मूलभूत सुविधाएँ अभी भी पूरी तरह से नहीं जुट पाई है। इसके अभाव में ही दोनों थानों के पुलिसकर्मियों को काम करना पड़ रहा है। थाने से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चिंतामण थाने में तो हालत यह है कि यहाँ फोन तक नहीं लग पाया है। अपने-अपने मोबाइल के जरिये ही स्टाफ सूचना लेने देने का काम कर रहा है। इधर चिंतामण और पंवासा दोनों थानों में वाहन भी पर्याप्त नहीं हैं।

    भागने का खतरा रहता है शिफ्ट करने में
    दोनों थानों से जुड़े पुलिस सूत्रों का कहना है कि उन्हें एफआईआर दर्ज करने से लेकर आरोपी को पकड़कर थाने लाने तक कोई परेशानी नहीं लेकिन सबसे बड़ी चिंता उस वक्त होती है जब पकड़े गए आरोपी को लॉकअप के लिए महाकाल या चिमनगंज मंडी थाने ऑटो में बैठाकर ले जाना पड़ता है। इसमें ऑटो का भाड़ा भी चुकाना पड़ रहा है और सबसे बड़ा खतरा यह रहता है कि चलती ऑटो में से आरोपी आसानी से फरार हो सकता है। इसके लिए दोनों थानों में वाहन तक उपलब्ध नहीं हैं। कुल मिलाकर यह दोनों नए थाने शुरु होने के बाद भी कई कमियों से जूझ रहे हैं।

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