नई दिल्ली। दुनियाभर में नए सिरे से फैलती कोरोना महामारी (corona pandemic) के बीच डब्ल्यूएचओ (WHO) के विशेषज्ञों ने कहा कि गंभीर या गंभीर कोविड रोगियों के इलाज के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids) के साथ इस्तेमाल की जाने वाली गठिया की दवा बारिसिटिनिब (Baricitinib) कारगर साबित हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने शुक्रवार को कोरोना वायरस के लिए दो नई दवाओं को मंजूरी दी है।
इन दवाओं के कारण मरीजों की जान बचने की संभावना बढ़ी है और संक्रमितों को वेंटिलेटर की आवश्यकता कम हो गई। कोरोना वायरस संक्रमितों की दुनियाभर में रोज बढ़ रही संख्या के बीच यह अच्छी खबर आई है। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने अनुमान लगाया है कि मार्च तक आधा यूरोप संक्रमित हो जाएगा।
विशेषज्ञों ने गैर-गंभीर कोविड मरीजों के लिए सिंथेटिक एंटीबॉडी उपचार सोट्रोविमैब (Synthetic antibody treatment sotrovimab) की भी सिफारिश की। यह उन संक्रमितों के लिए प्रभावी है, जो अस्पताल में भर्ती होने की उच्च जोखिम वाले हैं। इनमें वे लोग शामिल हैं जो बुजुर्ग हैं, कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र से पीड़ित या डायबिटीज जैसी पुरानी बीमारियों के शिकार हैं।
सितंबर 2020 के बाद से गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids) समेत सिर्फ चार दवाओं को मंजूरी दी है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स सस्ती और व्यापक रूप से उपलब्ध है। गठिया की दवाएं टोसीलिज़ुमैब और सेरिलुमाब, जिसे डब्ल्यूएचओ ने जुलाई में मंजूर किया था। इससे पहले सितंबर में डब्ल्यूएचओ ने सिंथेटिक एंटीबॉडी (Synthetic antibody) उपचार रेजेनरॉन को मंजूरी दी थी।
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